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- कश्मीर से एक और पलायन
कश्मीर घाटी कत्लेआम की जगह बन गई है। अंततः एक बार फिर कश्मीरी पंडितों और अन्य कर्मचारियों ने पलायन शुरू कर दिया है। हालांकि पुलिस के जरिए सरकार इस पलायन को जबरन भी रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन सरकारी कर्मियों के सामने कोई और विकल्प नहीं है। वे बेहद निराश, परेशान हैं, क्योंकि उन्हें आतंकी निशाना बनाकर मार रहे हैं। बहरहाल यह पलायन 1990 के दौर से भिन्न है। इस बार समूचे परिवार नहीं उजड़ रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त किए गए सरकारी कर्मचारी अब घाटी छोड़ने पर आमादा हैं। यदि बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या की गई, तो ईंट भट्टा मजदूरों पर भी गोलियां बरसाई गईं। बिहार निवासी दिलखुश की मौत हो गई और पंजाब निवासी घायल अवस्था में अभी संघर्षरत है। बैंक मैनेजर राजस्थान में हनुमानगढ़ के निवासी थे और 45 दिन पहले ही उनकी शादी हुई थी। नवविवाहिता पत्नी की मनःस्थिति समझी जा सकती है। निशाने पर कश्मीरी और गैर-कश्मीरी सभी हैं। आतंकी इसे भी 'जेहाद' करार दे रहे हैं। वे भारत-समर्थकों को निशाना बना रहे हैं। आतंकी नहीं चाहते कि कश्मीर की आबादी में कोई बदलाव आए, उसके समीकरण बिगड़ें। बीते 26 दिनों में 10 बेगुनाह पेशेवरों की हत्या कर दी गई। बीते एक साल के दौरान करीब 45 मुस्लिम चेहरों की भी जि़ंदगी छीन ली गई। यह पलायन हिंदू, मुसलमान दोनों का है।
सोर्स- divyahimachal