सम्पादकीय

उत्तर प्रदेश और बिहार में वार्षिक बजट

Gulabi
23 Feb 2021 5:34 AM GMT
उत्तर प्रदेश और बिहार में वार्षिक बजट
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पहली नजर में देखा जाए, तो उत्तर प्रदेश में जहां मूलभूत ढांचा विकास पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया है,

देश के दो महत्वपूर्ण राज्य, उत्तर प्रदेश और बिहार में वार्षिक बजट पेश कर विकसित भविष्य की ओर बढ़ने का संकल्प दोहराया गया है। इन दोनों राज्यों के बजट का विशेष महत्व है, क्योंकि ये दोनों राज्य न केवल राजनीतिक, बल्कि आर्थिक रूप से भी पूरे देश को शायद सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। दोनों की ही गिनती अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में होती है और दोनों ही प्रदेशों से रोजगार की तलाश में युवाओं को घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ता है। पहली नजर में देखा जाए, तो उत्तर प्रदेश में जहां मूलभूत ढांचा विकास पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया है, वहीं बिहार का बजट विशेष रूप से बालिका व महिला विकास की दृष्टि से बहुत आशा जगाता है।

दोनों के बजट आकार की तुलना करें, तो बिहार का बजट उत्तर प्रदेश के बजट की तुलना में करीब 40 प्रतिशत ही है। उत्तर प्रदेश का बजट पांच लाख पचास हजार दो सौ सत्तर करोड़ अठहत्तर लाख रुपये का है, तो वहीं बिहार का बजट दो लाख अठारह हजार तीन सौ तीन करोड़ रुपये का है। आबादी के अनुपात के हिसाब से बजट का अनुपात सही है। हालांकि, दोनों राज्यों में विगत दशकों में यदि दक्षिणी राज्यों जैसी तरक्की होती, तो बजट कई गुना ज्यादा का होता। खैर, इन राज्यों के बजट से पता चलता है कि दोनों को अभी विकास की राह पर बहुत आगे जाना है।

उत्तर प्रदेश का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने किसानों का भी पूरा ध्यान रखा है, तो अचरज नहीं। किसानों को मुफ्त पानी के लिए 600 करोड़ रुपये और सस्ते ऋण के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। कानपुर, गोरखपुर और वाराणसी में भी मेट्रो दौडे़गी। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल के लिए 1,326 करोड़ रुपये का आवंटन विशेष रूप से ध्यान खींचता है। एयरपोर्ट और एक्सप्रेस वे के लिए भी बजट आवंटन स्वागतयोग्य है। टीकाकरण के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। संभव है, उत्तर प्रदेश सरकार बजट से परे भी आने वाले दिनों में मुफ्त टीकाकरण की घोषणा करेगी।

उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव हैं और चुनाव का असर बजट पर भी दिख रहा है। सरकार मूलभूत ढांचा विकसित करके निवेश आमंत्रित करना चाहती है, ताकि प्रदेश में रोजगार बढ़े। दूसरी ओर, बिहार में नई सरकार का यह पहला बजट है, जिसे उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पेश किया है। यहां ज्यादा जोर गांवों, महिलाओं और कौशल विकास पर है, तो इसकी जरूरत कोई भी समझ सकता है।

12वीं पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को सरकार 25,000 रुपये देगी और स्नातक होने पर 50,000 रुपये। इसके अलावा महिलाओं को पांच लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण भी मिल सकेगा। महिला उद्यमिता के विकास के लिए यह बड़ी पहल है। बिहार में लड़कियों, महिलाओं के सशक्तीकरण के जरिए समाज बदलने की कवायद विगत कुछ वर्षों से जारी है, इसे ईमानदारी से आगे बढ़ाना चाहिए। बाहर काम करने वाले बिहारियों का पंचायतवार डाटा भी बहुत जरूरी है, ताकि जरूरतमंदों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। बिहार सरकार के सात निश्चय भाग-दो, लिंक रोड और डेयरी विकास के प्रयासों से भी जमीनी बदलाव आएगा। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार। आज युवाओं व आम लोगों की सबसे बड़ी आकांक्षा यही है।


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