सम्पादकीय

सालगिरह विशेष: इश्क़ की इबारत...रेखा

Gulabi
10 Oct 2021 5:35 PM GMT
सालगिरह विशेष: इश्क़ की इबारत...रेखा
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उसकी आंखों में चमक के साथ घना अंधेरा है, मुस्कुराते चेहरे के पीछे गहरी उदासी है

उसकी आंखों में चमक के साथ घना अंधेरा है, मुस्कुराते चेहरे के पीछे गहरी उदासी है. ख़ुद में ख़ुद को छुपाए बैठी है और ज़माना उसकी खूबसूरती की मिसाल देता है. वो जीती है बिंदास लेकिन कभी इतनी बेबाक नहीं हो पाई कि जिसके लिए ख़ुद को मिटा दिया, उसे सरेआम रुसवा कर दे. उसने इश्क़ जिया और इश्क़ की इबादत की. वो कोशिश करती रही कि शायद निभा पाए कोई और रिश्ता लेकिन कहते हैं ना कि इश्क़ एक लगन है वो जब लग गई तो फिर बुझती नहीं.


मेरे लिए आज इश्क़ जीने वाली, इश्क़ के लिए ख़ुद को मोम बना देने वाली मिसाल सिर्फ़ रेखा है. रेखा जिसका रौशन चेहरा ऐसा जैसे चांद, लेकिन उस चांद के दिल में ना जाने कब से अमावस है. वो इश्क़ किए जा रही है, बिना किसी उफ्फ के, बिना किसी शिकायत के. वो जब अपने इश्क़ को सम्मानित होते देखती है तो उसकी आंखों की नमी और चमक उसके इश्क़ की गवाही देते हैं.

जिस इंसान ने कभी उसका नाम तक ना लिया, साथ तो दूर की बात है, उसके लिए बिना आह के इश्क़ किए जाना ही तो इबादत है. उफ्फ तुम कितनी शिद्दत से इश्क़ करती हो… इस दुनिया को इश्क़ के नए मायने देने वाली उमराव को ये सालगिरह बहुत मुबारक। रेखा आज अपना 67वां जन्मदिन मना रही हैं. उनका जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में हुआ था.


पूरी दुनिया रेखा की खूबसूरती, सादगी, अदाकारी और मोहब्बत की कायल है. दुनिया उन्हें हज़ार बरस जीने की दुआएं देती है. सबके अपने अपने लफ़्ज़ हैं रेखा को दुआ देने के. रेखा अपने रिश्‍तों में पर्फेक्ट रही हों या ना रही हों, लेकिन उन्‍होंने अपने चाहने वालों के दिलों में पर्फेक्टली राज किया है और आज भी कर रही हैं.

पत्रकार शिफाली पांडे लिखती हैं कि-

एक दायरे में बंधी रेखा. जज्बात की डोर से बंधी रेखा. सब्र से चुप्पी का हाथ थामे बैठी रेखा. मैंने कभी तुम्हें एवरग्रीन के हैशटैग से देखा ही नहीं. सोचती हूं कांजीवरम साड़ियों और सूर्ख मैकअप के उस पार की रेखा क्या होगी. तुम्हारी तस्वीरों में ही सही, उन आंखों को पढने की कोशिश करती हूं, जो बहुत कम छलकी हैं उस आवाज की गहराई में उतरने की कोशिश करती हूं. गुलजार को पढ़ते हुए जो तुम्हारी अपनी बयानी हो जाती है… कई कई बार.


कंगनाओं वाली मोहब्बत के इस दौर में, तुम आउटडेटेड लग सकती हो. फिर भी आइडियल हो कि तुमने अपने प्यार को सरेबाजार नहीं किया. कोई इल्जाम नहीं. कोई ख्वाहिश नहीं. और यूं भी नहीं कि बिरह में टूट कर बिलख रही हो तुम कि कोई मोहब्बत की लिगसी पूरे आब से संभाल ले… और ये बता दे कि जिसे खो दिया उसे पा लिया.


फिल्म फेयर अवार्ड का वो एक लम्हा कि जब अमिताभ स्टेज पर अवार्ड ले रहे होते हैं. और तमाम कैमरे अमिताभ के बजाए रेखा की चमकती आंखों पर फ्लैश करते हैं. घड़ी भर को लगता है कि जैसे बैक ग्राउण्ड म्यूजिक भी बज ही जाए. हमें मिलना ही था हमदम किसी राह भी निकलते. उस एक छोटे से पल में मोहब्बत की बयानी…..उफ्फ…ये उमराव ही कर सकती है.


सालगिरह मुबारक रहे…


चमकती आंखें, मुस्कुराता चेहरा और खिलखिलाते लबों के पीछे जो सियाह अंधेरा है उसे देखने और जो उदासी है उसे मेहसूस करने के लिए इंसान का जज़्बों से लबरेज़ होना ज़रूरी है. रेखा अपने इशक़ को खुद में पोशीदा करके इतनी डिग्निटी से जी रही हैं कि आज के दौर में मोहब्बत के मायने बदल जाएं. कपड़ों की तरह बदलते रिश्तों में रेखा मिसाल बन गई इश्क़ को जीने की. उनके लबों से आह नहीं निकलती, कभी वो उफ्फ़ नहीं करतीं लेकिन जीतीं हैं अपने मेहबूब को हर पल.


उमराव की उदासी को हर कोई जान नहीं पाया और जो उसकी उदासी को मेहसूस कर पाया वो उमराव का हो गया. 67 साल की उम्र में रेखा जिस जिंदादिली से जी रही हैं वो काबिले मिसाल हैं और काबिल-ए-एतराम भी हैं. उन्होंने कभी अपनी अना और इज्ज़त से कोई समझौता नहीं किया. कहते हैं इश्क़ खुद को खो देना है अपने वुजूद को सिफ़र मान लेना है. इश्क़ वाले तमाम उम्र साथ जीते हैं लेकिन एक साथ नज़र नहीं आते हैं. इत्तेफ़ाक़ देखिए या खु़दा की कु़दरत की रेखा और अमिताभ का नाम हमेशा एक साथ लिया जाएगा. वो चाहकर भी एक दूसरे से कभी बहुत दूर नज़र नहीं आ सकते हैं. 10 अक्टूबर यानि रेखा की सालगिरह और 11 अक्टूबर बिग बी का जन्मदिन. दोनों इतने करीब कि चाह कर भी अलग नहीं हो सकते हैं.

मैं जब रेखा को देखती हूं, सुनती हूं मेहसूस करती हूं तो अजीब सी सिहरन पैदा हो जाती है. जिसे इश्क़ हुआ हो वो इश्क़ की तासीर और शिद्दत जानता है. कहने को बहुत कुछ है लेकिन कहना सिर्फ़ इतना है कि जब दुनिया में कभी इश्क़ की मिसालें दी जाएंगी तो रेखा को हमेशा याद रखा जाएगा. मेरे इस इश्क़ को, उमराव को सालगिरह बहुत मुबारक. आप यू हीं इश्क़ का एक रौशन सितारा बनी रहें. और मुस्कुराती रहें. खु़दा आपको सुकून दे, राहत दे और भरपूर सेहत…आमीन.



(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
निदा रहमान,पत्रकार, लेखक
एक दशक तक राष्ट्रीय टीवी चैनल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी. सामाजिक ,राजनीतिक विषयों पर निरंतर संवाद. स्तंभकार और स्वतंत्र लेखक.
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