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आयुष्मान भारत योजना की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के रूप में एक और महत्वाकांक्षी पहल की
एनबीटी डेस्क। आयुष्मान भारत योजना की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के रूप में एक और महत्वाकांक्षी पहल की। इस योजना के जरिए पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस को एक-दूसरे से जोड़े जाने का इरादा है। हर व्यक्ति का एक डिजिटल हेल्थ आईडी होगा, जिसके माध्यम से उसका हेल्थ रेकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रखा जाएगा। मोबाइल ऐप के सहारे कभी भी डिजिटल हेल्थ रेकॉर्ड तक पहुंचना संभव होगा। इसका मतलब यह हुआ कि हर व्यक्ति के लिए अपने स्वास्थ्य से संबंधित रेकॉर्ड को सुरक्षित रखने और डॉक्टर के पास जाने से पहले तमाम रिपोर्ट्स की कॉपी करवाकर साथ ले जाने की जरूरत नहीं रह जाएगी।
इस समय सोच कर भले यह कुछ अनोखी सी बात लग रही हो, लेकिन तकनीक ने बिल पेमेंट और कैश ट्रांसफर जैसे कार्यों को आसान बनाकर हमारी जिंदगी में जिस तरह का गुणात्मक बदलाव किया है, हेल्थ के क्षेत्र में कुछ ऐसा ही युगांतरकारी बदलाव इस नई मुहिम से भी आ सकता है। हालांकि हर नई योजना अपने साथ कई तरह के सवाल और चुनौतियां लेकर आती है। इस योजना में डेटा प्राइवेसी और डेटा सुरक्षित रखने जैसे सवाल हैं। मगर एक अच्छी बात यह है कि आयुष्मान भारत योजना का तीन साल का अनुभव लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करेगा कि सवाल उठाने और आशंकाएं व्यक्त करने से पहले यह देखा जाए कि इसे जमीन पर उतारने की प्रक्रिया किस तरह से आगे बढ़ती है और उसके नतीजे किस रूप में सामने आते हैं।
याद किया जा सकता है कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत में भी तरह-तरह के सवाल खड़े किए गए थे। इन्हीं सवालों के प्रभाव में कई राज्य सरकारों ने उसे अपनाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनके यहां पहले से ही दूसरी स्वास्थ्य योजनाएं चल रही हैं, जिनसे लोग लाभान्वित हो रहे हैं। बाद में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने अपनी पहले से जारी योजनाओं को बरकरार रखते हुए भी आयुष्मान भारत योजना को अपनाने का फैसला किया, जो निश्चित रूप से इसकी कामयाबी का ठोस सबूत है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं कि इस योजना में कोई कमी नहीं है। जानकारों के पास उन छोटे-छोटे उपायों की लंबी सूची है, जिन्हें अपनाकर आयुष्मान भारत योजना को व्यवहार में ज्यादा उपयोगी बनाया जा सकता है।
मगर सबसे बड़ी बात यह कि चाहे आयुष्मान भारत योजना हो या आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, यह मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे में उपलब्ध संसाधनों तक अधिक से अधिक लोगों की पहुंच को आसान बनाने की कोशिश है। यह बहुत जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही संसाधनों की कमी दूर करने यानी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने और चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने पर ध्यान देना भी जरूरी है। उसके बगैर एक सीमा के बाद इन पहलों के निरर्थक होने का खतरा बनने लगता है।
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