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किसान हित के नाम पर दिल्ली में प्रमुख रास्तों की नाकेबंदी के बाद पंजाब में जिस तरह मोबाइल टावरों पर हमले का सिलसिला कायम हुआ और वह थमने का नाम नहीं ले रहा, उससे यह संदेह और गहराता है कि इस आंदोलन के पीछे शरारती तत्व भी हैं। यह संभवत: पहला किसान आंदोलन है, जिसके जरिये लोगों को जानबूझकर तंग करने के साथ ही राष्ट्रीय संपदा को नष्ट करने का काम किया जा रहा है। यह साधारण बात नहीं कि पंजाब में एक-एक करके करीब डेढ़ हजार मोबाइल टावर नष्ट कर दिए गए या फिर उनकी बिजली आपूर्ति बाधित कर दी गई और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। जब उसके इस रवैये पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पहले तो मोबाइल टावरों को निशाना न बनाने की अपील की और फिर चेतावनी देने की औपचारिकता निभाई। यह चेतावनी कितनी दिखावटी है, इसका पता इससे चलता है कि उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। पुलिस की निष्क्रियता की शिकायत खुद रिलायंस जियो ने की है।