सम्पादकीय

बाजार में आसन्न संकट का एक संकेत स्टॉक की खरीद के लिए भारी कर्ज लेना है

Rani Sahu
21 Dec 2021 9:17 AM GMT
बाजार में आसन्न संकट का एक संकेत स्टॉक की खरीद के लिए भारी कर्ज लेना है
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यकीनन 2021 का तेजड़िया बाजार (बुल मार्केट) एक बड़े बदलाव के साथ वैसा ही है

रुचिर शर्मायकीनन 2021 का तेजड़िया बाजार (बुल मार्केट) एक बड़े बदलाव के साथ वैसा ही है, जैसा 2009 में शुरू हुआ था। कई सालों से अलग-थलग बैठे खुदरा निवेशक पिछले साल महामारी की वजह से बाजार में आई हर भारी गिरावट पर उत्साह से खरीदारी कर रहे हैं। वे न केवल निवेशकों के एक नए समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि वह एक नया वोटिंग समूह भी हैं।

इससे खतरा बढ़ रहा है कि एक बड़ी गिरावट बाजार में मंदी (बीयर मार्केट) ला सकती है। याद रखें कि नीति बनाने वालों ने ये उत्साह पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। सरकार के समर्थन और केंद्रीय बैंकों द्वारा उपलब्ध तरलता की वजह से नए निवेशक अपनी आय का एक हिस्सा में बाजार में लगा रहे हैं, जिससे 13वें साल में भी बाजार में तेजी को मदद मिल रही है।
महामारी के दौरान डेढ़ करोड़ अमेरिकियों ने ट्रेडिंग एप्स डाउनलोड किए और सर्वे से पता चला कि इनमें से अनेक युवा और पहली बार के खरीदार हैं। यूरोप में भी खुदरा निवेशक अत्यधिक सक्रिय हैं और उन्होंने रोजना की खरीदारी में अपने हिस्से को दोगुना कर लिया है। भारत से लेकर फिलीपींस के उभरते बाजारों में भी यही स्थिति है।
2021 में अकेले अमेरिकी निवेशकों ने दुनियाभर में इक्विटी में एक खरब डॉलर से अधिक निवेश किए, जो पिछले रिकॉर्ड से तीन गुना और पिछले 20 सालों में हुए निवेश को मिलाकर भी अधिक है। पिछले दशक में पीछे लौटने के बाद अमेरिकी परिवारों ने 2020 में इक्विटी के मुख्य निवेशक के तौर पर कॉरपोरेशनों को पीछे छोड़ दिया। उनके पास अब हेज फंडों की तुलना में 12 गुना अधिक स्टॉक हैं।
बाजार की लोकप्रिय खबरें इंटरनेट पर खोजने से खुदरा निवेशकों की रुचि का अंदाजा लगा सकते हैं और यह लगातार तेज बनी हुई है। पूरे 2021 में अमेरिकी परिवारों ने स्टॉक खरीदारी में तेजी कायम रखी, जो तीसरी तिमाही में उच्चतम स्तर पर पहुंचकर, पिछले साल की तुलना में 16% बढ़ गई। खुदरा निवेशकों के इस स्तर ने 1963 में बने रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली।
1929 की गिरावट को याद करें। बुल मार्केट की एक आम विशेषता यह है कि खुदरा निवेशक इसे काफी देरी से पकड़ पाता है। आज वे तब भी खरीद जारी रखे हैं, जब कॉरपोरेट इनसाइडर रिकॉर्ड मात्रा में बिक्री कर रहे हैं। इस साल इनसाइडर बिक्री 60 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर है। और इनसाइडर का रिकॉर्ड उल्टा होता है, जब बाजार चोटी पर होता है तब वह बिक्री करते हैं। क्या इससे मार्केट में तेजी से बदलाव आएगा। तथ्य यह है कि हाई प्रोफाइल सीईओ अपने जोखिम को समय पर कम करने के लिए कदम उठाते हैं, जिससे छोटे निवेशकों में आक्रोश पैदा होता है, क्योंकि उन्होंने ऐसा नहीं किया होता।
सावधानी बरतने की बजाय, डेमोक्रेट और रिपब्लिकंस ने इस पर एकता दिखाई है। उन्होंने बाजार के 'लोकतंत्रीकरण' को प्रोत्साहित किया और मीम स्टॉकों के बारे में स्वतंत्र रूप से अनुमान लगाने के अमेरिकियों के हक का समर्थन किया, चाहे यह कितना ही असंगत दिखता हो। गौरतलब है कि मीम स्टॉक आमतौर पर ऑनलाइन वायरल स्टॉक होते हैं।
बाजार में आसन्न संकट का एक और संकेत स्टॉक की खरीद के लिए भारी कर्ज या मार्जिन ऋण लेना है। अब अमेरिका में मार्जिन ऋण कुल जीडीपी का दो फीसदी हो गया है, जो पिछले तीन दशकांे में सर्वाधिक है। इसका एक बड़ा हिस्सा खुदरा निवेशकों के पास है। पिछले साल स्टॉक खरीदने के लिए उनकी कर्जदारी में रिकॉर्ड 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
अगर जोखिम का प्रबंधन सही से किया जाए तो बाजारों का लोकतंत्रीकरण अच्छा है। 'स्मार्ट मनी' पर बड़े खिलाड़ियों का कभी भी नियंत्रण नहीं रहा, और यह आज सबसे अधिक सही प्रतीत होता है। क्योंकि इंटरनेट ने हर आकार के निवेशक की बाजार पर समान पकड़ उपलब्ध करा दी है। केवल खुदरा निवेशक ही उन्माद के संकेत नहीं दे रहे हैं, यह आईपीओ और मर्जर में भी दिख रहा है। लेकिन अनेक खुदरा निवेशक अत्यधिक जोखिम उठाकर दांव लगा रहे हैं। उदाहरण के लिए कम नॉमिनल वैल्यू वाले एक दिन के लिए स्टॉक या ऑप्शन खरीद रहे हैं, जिसमें लाभ कमाना आसान है।
यह इस भ्रामक समय का साफ संकेत है कि समाजवादी राजनेताओं ने निवेशकों के एक वर्ग द्वारा अत्यधिक पूंजीवादी जोखिम का समर्थन किया है इनमें छोटे व मध्यम वोटर भी शामिल हैं। इसका परिणाम एक ऐसा बाजार है जो ऐतिहासिक रूप से ओवरवैल्यूड यानी बाजार की असल कीमत से ज्यादा है, लोगों ने जरूरत से ज्यादा खरीदकर रख लिया है, शायद राजनीतिक रूप से ज्वलनशील है। अमेरिकियों के पास अब अप्रत्याशित रूप से अधिक बचत है और उनके पोर्टफोलियो में स्टॉक की भागीदारी सर्वाधिक है, जो 1950 के स्तर पर है।
इनमें से कोई भी अनिवार्य रूप से आसन्न गिरावट का सूचक नहीं है। अब भी सिस्टम में व्यापक तरलता मौजूद है और अत्यधिक विवेकी निवेशकों में अनेक का मानना है कि ब्याज दरों के इतने नीचे होने की वजह से स्टॉक लेने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है। लेकिन जब बाजार में मंदी का अगला दौर आएगा, तो सरकारों और केंद्रीय बैंकों को जबरदस्त झटका लग सकता है।
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