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भरत झुनझुनवाला।
यूक्रेन पर रूस के हमले ने हमारे समक्ष ऊर्जा का संकट खड़ा कर दिया है। कुछ समय पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम लगभग 80 डालर प्रति बैरल था। तब देश में पेट्रोल का दाम लगभग 90 रुपये प्रति लीटर था। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यदि यूक्रेन संकट लंबा खिंचा तो कच्चे तेल का दाम 150 डालर प्रति बैरल तक जा सकता है। तब देश में पेट्रोल की दर बढ़कर 130 रुपये प्रति लीटर तक जा सकती है। यह हमारे आर्थिक विकास के लिए दो प्रकार से नुकसानदेह होगा। पहला यह कि तेल के आयात हेतु हमें अधिक मात्रा में डालर अर्जित करने के लिए औने-पौने दाम पर निर्यात करना होगा। दूसरा यह कि आम आदमी को महंगा पेट्रोल खरीदना होगा। ऐसी स्थिति में उसकी अन्य आवश्यक मदों में खपत कम होगी। इसलिए हमें इस ऊर्जा संकट से निपटने के उपाय पर विचार करना चाहिए। इसका एक उपाय है कि हम ऊर्जा के घरेलू स्रोतों का विकास करें। तब हमें आयातित ईंधन पर निर्भर नहीं रहना होगा। इस दिशा में सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ाने में सफलता हासिल की है। फिर भी एक मोटे आकलन के अनुसार 2050 में हमारी ऊर्जा की खपत में सौर ऊर्जा का हिस्सा सिर्फ 12 प्रतिशत के करीब रहेगा। इसलिए सौर ऊर्जा जरूरी होते हुए भी समाधान नहीं है।