- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- एक सक्षम...
विक्रम सिंह।
भारत में पर्व-त्योहार उल्लास और उमंग का अवसर होते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में उनका आयोजन भी बड़ी श्रद्धा एवं शांतिपूर्वक तरीके से होता है, परंतु यह साल एक अपवाद के रूप में देखा जाएगा। ज्यादा दिन नहीं बीते जब परशुराम जन्मोत्सव और ईद के दिन जोधपुर में हुए सांप्रदायिक टकराव के कारण शहर में कफ्यरू लगाना पड़ा। इससे पहले राजस्थान के ही करौली में हिंदू नववर्ष पर भयंकर हिंसा भड़की थी। यदि राज्य सरकार ने करौली की घटना से सबक लिया होता तो शायद जोधपुर जलने से बच जाता। वैसे ¨हसा के ये मामले केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं रहे। मध्य प्रदेश के खरगोन से लेकर दिल्ली के जहांगीरपुरी सहित देश के कई इलाकों में रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव पर जिस प्रकार सांप्रदायिक उन्माद और हिंसा की घटनाएं हुईं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि कानून व्यवस्था को तार-तार करने के लिए कोई गहरा षड्यंत्र रचा गया और उसके बारे में स्थानीय प्रशासन अनभिज्ञ रहा। दंगाइयों ने पत्थर, तलवारें, पेट्रोल बम आदि का भंडारण पहले से कर रखा था। उन्होंने शोभायात्रओं पर हमले किए और हिंसा फैलाई। खरगोन में तो कई हिंदू परिवार पलायन करने को विवश हो गए।