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स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर यह पहली बार हो रहा है कि देश के 20 करोड़ घरों से ज्यादा में देश का ध्वज फहराने का आग्रह किया गया है
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर यह पहली बार हो रहा है कि देश के 20 करोड़ घरों से ज्यादा में देश का ध्वज फहराने का आग्रह किया गया है। ध्वज आम जनता को आसानी से मिल सके, इसके भी व्यापक इंतज़ाम सरकार ने किए हैं। आप ध्वज डाकघर से भी ले सकते हैं और खादी भंडार से भी। किसी भी देश के लिए आज़ाद होना सबसे बड़ी खुशी होती है। आज़ाद देश में सांस लेना सबसे बड़ा तोहफा है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम देशवासियों के दिलों में और इतिहास की किताबों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हर इनसान, हर भारतीय जिसने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश को आज़ाद करवाया, हमारे लिए पूजनीय है और सदैव रहेगा।
अगर राष्ट्रीय ध्वज की बात करें, जिसे हम तिरंगा झंडा या तिरंगा कह कर भी पुकारते हैं, तो 22 जुलाई 1947 ही वह खास दिन था जब संविधान सभा ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद समिति की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया था। हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। पिंगली वेंकैया को महात्मा गांधी ने तिरंगे की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। हां, पहले जो तिरंगा बनाया गया था उसमें अशोक चक्र की जगह चरखा था। पहली बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से यह आग्रह किया कि आज़ादी के 75 सालों का यह सफर और देश की प्रगति और देशभक्ति को 75वे आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जाए। हर घर तिरंगा लहराया जाए। कश्मीर से कन्याकुमारी तक 13 से 15 अगस्त तक तिरंगा ही सर्वोपरि हो। हो भी क्यों न, कितनी मुश्किलों से हमें आज़ादी मिली है, कितने बलिदानों और संघर्षों के बाद हमने यह आज़ादी हासिल की है। तिरंगा लहराते समय इन बातों का ध्यान रखें।
आप अपने घर पर या किसी भी संस्थान के शीर्ष स्थल पर, ऊंचाई पर ध्वज लहरा सकते हैं। दिन और रात यानी 24 घंटे झंडा लहरा सकते हैं। पहले सिर्फ सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता था। लेकिन जुलाई महीने में कानून में यह संशोधन किया गया कि ध्वज रात-दिन फहराया जा सकता है। बस कुछ बातों का ध्यान आपको रखना है। जैसे झंडा ऐसी जगह लगाएं जहां से ठीक से दिखाई दे। झंडे के आसपास कोई दूसरा ध्वज न लगाएं। ध्वज पर कुछ लिखें न, झंडे का आकार 3 : 2 के अनुपात में हो। केसरिया रंग सबसे ऊपर हो। जहां तक हो सके खादी के ध्वज का प्रयोग करें, लेकिन अब सरकार ने मशीन द्वारा बनाए कपड़े के झंडों के प्रयोग की अनुमति भी दे दी है। झंडा ऐसा खरीदें कि आप उसे संभाल कर रख सकें ताकि उसका फिर से प्रयोग किया जा सके। झंडे के वस्त्र बना कर न पहनें। झंडे को जमीन पर न गिरने दें। झंडे को पानी में न बहने दें। अपने वाहनों पर झंडा न लगाएं, यदि आप आम नागरिक हैं तो। प्लास्टिक से बने झंडे न खरीदें, न ही लोगों को खरीदने दें। कागज़ से बने झंडों का प्रयोग न करें। सरकार द्वारा ध्वजारोहण के कुछ और भी नियम हैं जिन्हें झंडा संहिता भी कहते हैं। आजादी की भावना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हर भारतीय प्रयास करे।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal

Rani Sahu
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