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- अमृत महोत्सव और मोदी
प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी वह व्यक्ति हैं जिन्होंने पद ग्रहण करने के बाद स्पष्ट किया था कि इस देश को गांधी के मार्ग पर ही आगे बढ़ कर महान बनाया जा सकता है। मगर सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने राष्ट्रपिता के बारे में यह कही थी कि स्वतन्त्रता आन्दोलन में जहां विभिन्न विचारधाराओं के लोग अलग-अलग रास्तों से अपना योगदान दे रहे थे, वहीं गांधी ने आजादी का जज्बा भारत के गरीब मजदूर, किसान से लेकर सामान्य व्यक्ति में भर कर इसेे एक जनान्दोलन में परिवर्तित कर दिया। आजादी को महात्मा गांधी ने ही जमीन से जोड़ कर अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ा। अतः श्री मोदी का आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मनाना भारत के जनमानस में गांधीवाद की धारा को जमाने जैसा ही है। कुछ ज्ञानी लोग इस तर्क में आशंकाएं ढूंढ सकते हैं, जिसका उन्हें पूरा अधिकार है मगर उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि गांधीवादी विचारधारा पर न तो किसी एक पार्टी या एक देश का एकाधिकार है क्योंकि गांधी के विचार भारतीय दर्शन की मानवतावादी शृंखला की अगली कड़ी थे। उनके विचारों से अमेरिका से लेकर अफ्रीकी देशों के क्रान्तिकारी नेताओं ने प्रेरणा ली और अपने-अपने देशों में सामाजिक न्याय व स्वतन्त्रता की अलख जगाई।