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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने युवाओं के रोजगार के साथ-साथ सैनिक के रूप में देश सेवा करने एवं सेना में जवानों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से ‘अग्निपथ’ योजना के रूप में अभिनव पहल की है
By लोकमत समाचार सम्पादकीय |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने युवाओं के रोजगार के साथ-साथ सैनिक के रूप में देश सेवा करने एवं सेना में जवानों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से 'अग्निपथ' योजना के रूप में अभिनव पहल की है. हालांकि योजना के आलोचकों की भी कमी नहीं है. मगर उसके सकारात्मक पहलू ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. हर योजना अपने आप में परिपूर्ण नहीं होती, उसके पीछे के नेक इरादों को परखा जाना चाहिए.
समय के साथ-साथ निश्चित रूप से अग्निपथ दूरगामी सकारात्मक परिणाम देने वाली योजना साबित होगी. योजना के तहत सेना के तीनों अंगों में साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं की भर्ती कर उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया जाएगा. उनका मानधन 30 हजार से शुरू होगा और चौथे तथा अंतिम वर्ष में 40 हजार रुपए तक पहुंच जाएगा.
भर्ती होने वाले नौजवानों में से 25 प्रतिशत को उनकी क्षमता, प्रदर्शन तथा उत्कृष्टता के आधार पर सेना में स्थायी रूप से नियुक्ति दे दी जाएगी. तीनों सेनाओं को वर्तमान में सवा लाख सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को 75 हजार जवानों की जरूरत है. अग्निपथ योजना इस कमी को पूरा करने में मददगार साबित होगी.
केंद्र सरकार ने योजना की घोषणा के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चार साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले इन प्रशिक्षित जवानों को केंद्रीय सुरक्षा बलों और असम राइफल्स में नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी. यही नहीं भाजपा शासित राज्यों ने तो घोषणा कर दी है कि इन जवानों को उनके यहां पुलिस भर्ती में अहमियत मिलेगी.
भारत में पुलिस जवानों की अपराधियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई तथा आधुनिक हथियार चलाने की क्षमता सीमित है. सेना से निकले हुए ये जवान आमने-सामने की लड़ाई तथा आधुनिकतम हथियारों को चलाने में भी पारंगत रहेंगे. इससे पुलिस बल की कार्यक्षमता बढ़ेगी एवं अपराधियों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों ने सेवानिवृत्ति के बाद इन जवानों को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने की घोषणा बुधवार को कर दी.
मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले युवाओं के आर्थिक भविष्य को भी सुरक्षित बनाने के प्रावधान किए हैं. चार साल बाद सेना से अवकाश ग्रहण करने वाले जवानों को एकमुश्त 10-11 लाख रु. मिलेंगे. सबसे महत्वपूर्ण फायदा 'अग्निपथ' के 'अग्निवीरों' से यह होगा कि देश में सशस्त्र युद्ध में निपुण युवाओं की बड़ी शक्ति तैयार हो जाएगी जो युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति में देश की सुरक्षा के लिए मोर्चा संभालने में सक्षम होगी.
दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां सैन्य प्रशिक्षण हर युवा के लिए अनिवार्य है. इजराइल में महिला तथा पुरुषों दोनों को सेना में सेवा देनी ही पड़ती है. इसके अलावा ब्राजील, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्की, सीरिया, स्विट्जरलैंड, इरीट्रिया, आस्ट्रिया, म्यांमार, ईरान, यूक्रेन में भी सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य है. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध एक वैश्विक आपदा है लेकिन युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने का फायदा इन दोनों देशों को हो रहा है.
दोनों देशों के पास युद्ध में नियमित सैनिकों का साथ देने के लिए सैन्य प्रशिक्षण से लैस नागरिकों की बड़ी फौज उपलब्ध है. 'अग्निपथ' योजना एक सराहनीय पहल है. यह देश के सैन्य ढांचे को मजबूत भी बनाएगी और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी. देश में राजनीति की खातिर हर पहल का विरोध करने की परंपरा सी बन गई है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. राष्ट्रहित तथा देश की सुरक्षा से जुड़ी हर पहल का स्वागत एवं समर्थन किया जाना चाहिए.

Rani Sahu
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