सम्पादकीय

अमेरिका बनाम रूस

Subhi
28 Feb 2022 5:30 AM GMT
अमेरिका बनाम रूस
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यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान का समर्थन नहीं किया जा सकता। मगर सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पूरी दुनिया पुतिन को दानव के रूप में क्यों पेश कर रही है? रूस के पूर्व सोवियत राज्यों में नाटो विस्तार की चिंता की अनदेखी क्यों की जा रही है

Written by जनसत्ता: यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान का समर्थन नहीं किया जा सकता। मगर सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पूरी दुनिया पुतिन को दानव के रूप में क्यों पेश कर रही है? रूस के पूर्व सोवियत राज्यों में नाटो विस्तार की चिंता की अनदेखी क्यों की जा रही है? अमेरिका कब तक पूर्व सोवियत संघ के देशों को अपने सैन्य और रणनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करेगा? कब तक इस जाल में पूर्व सोवियत संघ के अदूरदर्शी नेता रहेंगे? अब आप देख सकते हैं कि यूक्रेन संकट में है और अमेरिका सिर्फ डकैती कर रहा है।

अमेरिका के दावे और प्रचार का कोई गुण नहीं है, क्योंकि लोग नाटो के बारे में पूछ रहे हैं। यूक्रेन पर हमला निश्चित रूप से निंदनीय है, लेकिन यूरोप में एक सुरक्षित और बेखौफ माहौल सुनिश्चित करने के लिए क्रेमलिन के पास क्या विकल्प उपलब्ध है। किसने पुतिन को सैन्य अभियान शुरू करने के लिए मजबूर किया? यूक्रेन के राष्ट्रपति और अन्य यूरोपीय नेताओं द्वारा दिए गए बयानों पर किसी की नजर क्यों नहीं है?

अमेरिका को पूर्वी यूरोप और एशिया की भू-राजनीतिक गतिशीलता को समझना चाहिए। रूस जो हासिल करेगा वह महत्त्वहीन है, लेकिन इसने साबित कर दिया है कि अमेरिका पृथ्वी के मालिक की तरह व्यवहार नहीं कर सकता है और पूर्व सोवियत राज्यों में नाटो के विस्तार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अमेरिका को अपनी भव्यता की आदत पर लगाम लगानी होगी और रूस और चीन का मुकाबला करने के लिए पूर्वी यूरोपीय और सीआइएस देशों को फंसाना बंद करना होगा।

दिल्ली जैसे महानगर में प्रत्येक वर्ष अपराधों में होती वृद्धि चिंता का विषय है। आए दिन मीडिया में कभी किसी की हत्या तो कभी बलात्कार, लूटपाट समाचार छाए रहते हैं। इसका मुख्य कारण है हमारे देश में रोजगार की कमी। बढ़ती जनसंख्या के चलते रोजगार के साधन सीमित हो गए हैं। दिल्ली पुलिस की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि संगीन अपराध, लूट, हत्या और बलात्कार के मामलों के अलावा दहेज उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। इसी क्रम में जहां पर दस कैदी होने चाहिए, वहां पांच सौ कैदी विभिन्न जेलों में बंद हैं। आखिरकार इस प्रकार बढ़ते अपराधों की जड़ तक जाना जरूरी है और इस बात का अध्ययन करना भी अनिवार्य हो गया है कि आखिरकार अपराध किस प्रकार से बढ़ रहे हैं।

अक्सर देखा गया है कि अनेक अपराधों में कोई न कोई परिचित शामिल होता है। संपत्ति विवाद के मामले भी दिन-रात बढ़ते जा रहे हैं। अनेक वरिष्ठ नागरिक अपने परिवारों से दूर रहते हैं, क्योंकि उनके बच्चे विदेशों में हैं। वे आत्मनिर्भर होते हैं, बिना किसी जान-पहचान के अपने घरों में नौकर रख लेते हैं। वे नौकर कई बार संपत्ति के लोभ में मालिक की हत्या तक कर देते हैं। अपराधों की इस प्रकार हो रही वृद्धि को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाना चाहिए तथा उसके साथ-साथ पुलिस व्यवस्था भी सुचारू रूप से चले।

अक्सर देखा गया है कि इस तरह के मामलों को लेकर जिस प्रकार दिल्ली पुलिस में व्यापक तैयारी होनी चाहिए। आठ घंटे कार्य करने के पश्चात पुलिसकर्मियों को विश्राम मिलना चाहिए, परंतु ऐसा नहीं है। ऐसे भी युवा होते हैं, जिनके माता-पिता आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं और वे अपने बच्चों को किसी भी प्रकार से अच्छी शिक्षा और अच्छा संस्कार नहीं दे पाते। दिल्ली के चौराहों पर भीख मांगते मासूम बच्चे देखे जा सकते हैं, उनसे आपराधिक तत्व अपराध करवाने में पीछे नहीं रहते। अपराधों का गहराई से अध्ययन करना होगा।


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