सम्पादकीय

अमेरिका अपनी बंदूक संस्कृति को बदले

Rani Sahu
28 May 2022 6:31 PM GMT
अमेरिका अपनी बंदूक संस्कृति को बदले
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वेदप्रताप वैदिक

अमेरिका के टेक्सास प्रांत में वही हो गया, जो पिछले 250 साल से उसके हर शहर और मोहल्ले में होता रहा है। हर आदमी के हाथ में बंदूक होती है। वह कब किस पर चला दे, पता नहीं चलता।
अब से लगभग 53-54 साल पहले जब न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मैं पढ़ता था तो यह देखकर दंग रह जाता था कि वहां बाजार में खरीदी करते हुए या किसी रेस्तरां में खाना खाते हुए भी लोग अपने बैग में या कमर पर छोटी-मोटी पिस्तौल छिपाए रखते थे। लगभग सभी घरों में बंदूकें रखी होती थीं।
इस समय अमेरिका के 33 करोड़ लोगों के पास 40 करोड़ से भी ज्यादा बंदूकें हैं। यानी हर परिवार में तीन-चार बंदूकें तो रहती ही हैं। ये क्यों रहती हैं? मुझे मेरे अध्यापकों ने बताया कि बंदूकें रखना अमेरिकी संस्कृति का अभिन्न अंग शुरू से ही है। जब दो-ढाई सौ साल पहले गोरे यूरोपीय लोग अमेरिका आने लगे तो उन्हें स्थानीय 'रेड इंडियन्स' का मुकाबला करना होता था।
उसके बाद अफ्रीकी अश्वेत लोगों का बड़े पैमाने पर अमेरिका आगमन हुआ तो शस्त्र-धारण की जरूरत पहले से भी ज्यादा बढ़ गई। इसीलिए अमेरिकी संविधान में जो दूसरा संशोधन जेम्स मैडिसन ने 1791 में पेश किया था, उसमें आम लोगों को हथियार रखने का पूर्ण अधिकार दिया गया था।
वह अधिकार आज भी ज्यों का त्यों कायम है। अमेरिका की सीनेट यानी वहां की राज्यसभा, जो वहां की लोकसभा यानी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स से ज्यादा शक्तिशाली है, इस संवैधानिक कानून को कभी खत्म होने ही नहीं देती है। डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा और अब जो बाइडेन इसके विरुद्ध हैं लेकिन वे कुछ नहीं कर सकते।
कन्जर्वेटिव पार्टी के नेता अब भी पुरानी लीक को ही पीट रहे हैं। वे यह क्यों नहीं समझते कि उनकी अकड़ की वजह से औसत अमेरिकी नागरिक का जीवन कितना भयावह हो गया है। विश्व महाशक्ति होने का दावा करने वाला अमेरिका अपनी इस हिंसक प्रवृत्ति के कारण सारी दुनिया में कितना बदनाम होता रहता है।

सोर्स - lokmatnews

Rani Sahu

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