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- टकराव की राह पर...
हर्ष वी पंत।अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते चौतरफा टकराव के बीच ताइवान तनातनी के एक प्रमुख बिंदु के रूप में उभर रहा है। इस मामले में अमेरिका लंबे समय से संतुलन साधने की जो कवायद करता आया है, उसे कायम रख पाना अब मुश्किल हो गया है। कुल मिलाकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र इस समय शक्ति संतुलन में संक्रमण का साक्षी बना हुआ है। ऐसा संक्रमण अतीत में कभी नहीं देखा गया। इसके प्रभाव भी व्यापक और दूरगामी दिख रहे हैं। जैसे-जैसे चीन अड़ियल होकर आक्रामक बन रहा है, वैसे-वैसे अमेरिका अपने क्षेत्रीय साथियों को साधकर कड़े प्रत्युत्तर की तैयारी में जुटा है। इस स्थिति में बढ़ते क्षेत्रीय दबाव को दूर करने के लिए कोई संस्थागत ढांचा भी उपलब्ध नहीं है, जो मध्यस्थता के माध्यम से टकराव समाप्त करा सके। इतना ही नहीं इस संक्रमण का दायरा और रफ्तार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि उसके असर से ताल मिलाने में क्षेत्रीय पक्षों को मुश्किलें पेश आ रही है। इस प्रक्रिया के परिणाम का प्रभाव भी मुख्य रूप से नकारात्मक ही है।