सम्पादकीय

Ambedkar Jayanti 2022: डा. भीमराव आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलकर आत्मनिर्भर बनेगा भारत

Gulabi Jagat
14 April 2022 1:59 PM GMT
Ambedkar Jayanti 2022: डा. भीमराव आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलकर आत्मनिर्भर बनेगा भारत
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डा. भीमराव आंबेडकर
अर्जुन राम मेघवाल। अब से 25 वर्ष बाद राष्ट्र स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगा। मौजूदा अमृत महोत्सव राष्ट्र की विकास-गति की एक रूपरेखा प्रस्तुत करता है। हमारे पूर्वजों ने इस संबंध में अपनी स्पष्ट दूरदृष्टि को प्रस्तुत किया था, जिसके फलस्वरूप हमारी अब तक की प्रगति हुई है। नए भारत के निर्माण के इस व्यापक कार्य के परिप्रेक्ष्य में कई क्षेत्रों में बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर की प्रेरणादायी दूरदृष्टि और सतर्कतापूर्ण दृष्टिकोण हमेशा एक मार्गदर्शी प्रकाश-स्तंभ के रूप में हमारे साथ है। उनकी जयंती एक राष्ट्र निर्माता के रूप में उनकी समग्र भूमिका का स्मरण करने और हमारे कार्य क्षेत्रों में उनके आदर्शो का अनुकरण करने के लिए पुन: प्रेरित होने का एक उपयुक्त अवसर है।
श्रमिक अधिकारों के एक कट्टर पैरोकार
डा. आंबेडकर ने एक संस्था निर्माता के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान समय की संवैधानिक व्यवस्था ने उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान को चारों दिशाओं में गुंजायमान किया है। वे संविधान सभा में वाद-विवाद में सबसे महत्वपूर्ण वक्ता थे। इस क्षेत्र में संपूर्ण वार्तालाप में सर्वाधिक योगदान अर्थात 7.5 प्रतिशत बाबा साहब का ही रहा, जबकि नेहरू का योगदान 2.14 प्रतिशत रहा। भारतीय रिजर्व बैंक ने डा. आंबेडकर के 'रुपये की समस्या-इसकी उत्पत्ति और समाधान' विषयक शोध-पत्र को अपनी कार्यप्रणाली का मूलाधार बनाया। वायसराय की कार्यकारी परिषद के लेबर मेंबर के रूप में उन्होंने जल, बिजली, श्रम कल्याण नीतियों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने केंद्र और राज्य के हितों को जोखिम में डाले बिना अपने आर्थिक स्तर को लगातार ऊपर उठाने के प्रयोजनार्थ केंद्र और राज्यों के बीच एक संघीय वित्तीय प्रणाली को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया। वह श्रमिक अधिकारों के एक कट्टर पैरोकार थे। एक श्रमिक नेता के रूप में उन्होंने 'कार्य की उचित स्थिति' के बजाय 'श्रमिक के जीवन की उचित स्थिति' की हिमायत की। अन्य कल्याणकारी कार्यों यथा काम के घंटों को घटाकर प्रति सप्ताह 48 घंटे करना, ओवर टाइम और पेड लीव की व्यवस्था, न्यूनतम पारिश्रमिक का निर्धारण एवं उसकी सुनिश्चितता, श्रम कल्याण कोष तथा ट्रेड यूनियनों की स्वीकार्यता को अक्षरश: लागू किया गया। काश्तकारों के बीच दास परंपरा का उन्मूलन किया। श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए औद्योगिक विवाद विधेयक, 1938 का कड़ा विरोध किया था।
'समान कार्य के लिए समान वेतन' के प्रविधानों को सुनिश्चित किया
डा. आंबेडकर आधुनिक समाज में महिलाओं की प्रगतिशील भूमिका के प्रति बहुत जागरूक थे। उन्होंने स्वतंत्रता के तुरंत बाद महिलाओं के लिए मतदान अधिकार सुनिश्चित किया। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों ने महिलाओं को मत का अधिकार देने में एक शताब्दी से भी अधिक का समय लिया। हिंदू कोड बिल में उन्होंने महिलाओं को गोद लेने के अधिकार के साथ-साथ, विरासत का अधिकार प्रदान करने की भी वकालत की। आर्थिक कार्यबल में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए उन्होंने लैंगिक भेदभाव के बिना 'समान कार्य के लिए समान वेतन' के प्रविधानों को सुनिश्चित किया। कोयला खदानों में भूमि के अंदर कार्य करने वाली महिलाओं पर पाबंदी हटाने संबंधी विषय में सार्थक हस्तक्षेप किया। उन्होंने उन सुदृढ़ आधारभूत बातों को संस्थागत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके फलस्वरूप अब महिलाएं किसी भी क्षेत्र में किसी भी कार्य को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं तथा हर संभव क्षेत्र में हमारे राष्ट्र को गौरवान्वित कर रही हैं। 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपने समापन भाषण के दौरान डा. आंबेडकर ने एक व्यक्ति, एक वोट और एक मूल्य की व्यवस्था के माध्यम से राजनीतिक समानता प्राप्त करने पर संतोष की अनुभूति को व्यक्त किया। इसके बावजूद उन्होंने सामाजिक और आर्थिक मोर्चो पर संबंधित मूल्यों में मौजूदा मतभेदों के कारण आने वाले विरोधाभासों के बारे में भी आगाह किया।
आंबेडकर की दूरदृष्टि के करीब पहुंचता जा रहा भारत
हालांकि, पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा उठाए गए तमाम कदम इन विरोधाभासों को दूर कर रहे हैं और राष्ट्र डा. आंबेडकर की दूरदृष्टि के करीब पहुंचता जा रहा है। सरकारी कार्यक्रम सकारात्मक बदलाव लाने और विशेष रूप से सभी, वंचित और दलित वर्ग के लोगों के जीवन को सरल और सहज बनाने की दिशा में कार्यरत हो रहे हैं। गरीब समर्थित कल्याण योजनाओं जैसे कि मुद्रा स्कीम, एकलव्य माडल आवासीय स्कूल निर्माण स्कीम, प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, स्वच्छ भारत अभियान आदि का क्रियान्वयन होने से लोगों के जीवन का स्तर बढ़ रहा है। पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति स्कीम में चार करोड़ अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को उच्चतर शिक्षा सुविधा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। कामगारों की उचित जीवन दशा पर ध्यान केंद्रित करते हुए चार श्रम संहिताएं अर्थात पारिश्रमिक संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता बनाई गई हैं।
आंबेडकर की जयंती के अवसर पर हम अपने सत्कार्यों से एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करने और अपने राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की ओर अग्रसर हों, ताकि इसका प्रभाव पूरे विश्व में गुंजायमान हो तथा हमारे देश में भाईचारे की भावना बलवती हो।
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