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संगीत एवं योग मनुष्य की आंतरिक एवं बाह्य शक्तियों को विकसित करता है। इन दोनों का चोली-दामन का साथ है। संयोग यह है कि ये दोनों ही अंतरराष्ट्रीय दिवस हर वर्ष 21जून को ही मनाए जाते हैं। योग एवं संगीत व्यक्ति के जीवन को चहुंमुखी विकास संपन्न तथा मधुरता प्रदान करता है। ये दोनों ही विषय किसी भी नकारात्मकता या कुप्रभाव से रहित हैं तथा आत्मिक एवं आंतरिक शांति प्रदान करते हैं। योग का अर्थ ही जमा करना तथा जोड़ना है। योगिक, आध्यात्मिक, शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक क्रियाओं के माध्यम से हम शरीर के सभी अंगों को जोड़ने का प्रयास करते हैं। वास्तव में योग एक विस्तृत विषय है। हठ योग, राजयोग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, तंत्र योग छह योगिक प्रकार हैं। ध्यान, प्राणायाम, व्यायाम, नेति-धोती आसन, मुद्रा, मंत्र, जप तथा अन्य योगिक क्रियाओं से इसकी साधना की जाती है। शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तथा बौद्धिक विकास के लिए योग सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।
सोर्स- divyahimachal
