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रूस का कदम सफल रहा, तो उससे ऐसी मिसाल कायम होगी
By NI Editorial
पश्चिमी प्रतिबंधों के जवाब में उठाए गए रूस के एक कदम से बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के लिए जारी वैश्विक व्यवस्था पर करारी चोट हुई है। रूस का कदम सफल रहा, तो उससे ऐसी मिसाल कायम होगी, जिससे वैश्विक कारोबार करने वाली कंपनियों के मुनाफे में भारी सेंध लग सकती है। Intellectual Property Rights Russia
यूक्रेन पर हमले के बाद रूस ने एक और हमला किया है। इस हमले के परिणाम दूरगामी हो सकते हैँ। इसकी वजह यह है कि इससे बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के लिए जारी वैश्विक व्यवस्था पर करारी चोट हुई है। अगर रूस का कदम सफल हो गया, तो उससे एक ऐसी मिसाल कायम होगी, जिससे वैश्विक कारोबार करने वाली कंपनियों के मुनाफे में भारी सेंध लग सकती है। यूक्रेन पर हमले के बाद लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए रूस ने ये कदम उठाया है। उसने बौद्धिक संपदा अधिकारों को निशाना बनाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने पिछले दिनों एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि रूसी कंपनियां अब 'अमित्र देशों' की कंपनियों के पेंटेट को मानने के लिए मजबूर नहीं होंगी। वे उन देशों की कंपनियों की तरफ से रजिस्टर्ड कराए गए यूटिलिटी मॉडल्स और इंडस्ट्रियल डिजाइन्स का पालन करने के लिए भी बाध्य नहीं होंगी। इस तरह अमेरिकी और यूरोपीय देशों की कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार अब रूस में मान्य नहीं रह गए हैँ। इसका मतलब है कि रूसी कंपनियां पेटेंट या औद्योगिक डिजाइन के बदले पश्चिमी कंपनियों को बिना फीस का भुगतान किए संबंधित वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन कर सकेंगी। इससे रूसी कंपनियां कई उत्पादों को सस्ते में अपने देश के उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवा पाएंगी।
पुतिन के आदेश जारी करने के बाद एक ब्रिटिश कंपनी ने उसे एक रूसी कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी। इसलिए अब नहीं लगता कि इस मसले का रूस के अंदर कोई हल संभव है। पश्चिमी चर्चाओं में इसे इंटेलेक्चुअल पाइरेसी को वैध करना बताया गया है। यह तो साफ है कि पिछली एक सदी में किसी देश ने बौद्धिक संपदा पर ऐसा हमला किया हो, उसकी कोई मिसाल नहीं है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जरूर अमेरिका ने अपने दुश्मन देशों की कंपनियों की कॉपीराइट और पेटेंट अधिकारों का पालन ना करने के लिए ट्रेडिंग विथ इनमी ऐक्ट पारित कराया था। अब उसी मिसाल का अनुपालन रूस कर रहा है। लेकिन तब से लेकर आज तक दुनिया काफी बदल चुकी है। रूस उन देशों में शामिल है, जिन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के गठन के लिए हुई संधि पर दस्तखत किए हैं। अब कुछ देश इस रूसी आदेश को डब्लूटीओ में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैँ। इस मामले में क्या फैसला आता है, उसे देखने पर दुनिया की नजर टिकी रहेगी।
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