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- यूक्रेन में तबाही के...
राजीव सचान।
युद्ध विनाश का कारण बनते हैं, लेकिन कभी-कभी वे अपरिहार्य हो जाते हैं। जैसे 1971 का बांग्लादेश युद्ध। यह याद रखें कि आज जो अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन पर रूस के हमले पर भारत को अपने पक्ष में लाना चाहते हैं, उन्होंने 1971 में किस तरह पाकिस्तान की सैन्य सहायता करने की कोशिश की थी। इन दिनों अमेरिका एवं उसके साथी देश और इन देशों का अधिकांश मीडिया पुतिन को खलनायक साबित करने में जुटा है। नि:संदेह यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन नहीं किया जा सकता। इस हमले ने यूक्रेन में तबाही मचाने के साथ विश्व शांति और विश्व अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरे में डाल दिया है, लेकिन कल्पना करें कि यदि चीन कल को बांग्लादेश को अपने प्रभाव में लेकर वहां अपने सैन्य अड्डे बनाने लगे तो क्या यह भारत का स्वीकार होगा? क्या चीन की ऐसी किसी पहल पर भारत को यह कहते हुए बांग्लादेश पर हमला कर देना चाहिए कि एक समय तो यह हमारा ही हिस्सा था? इस कल्पना से बाहर निकल कर इस यथार्थ को देखें कि चीन गुलाम कश्मीर यानी हमारे भूभाग पर गलियारा बना रहा है। क्या इसके चलते पर भारत को वहां हमला कर देना चाहिए?