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भूपेंद्र सिंह| स्वस्थ जीवन और दीर्घायु सर्वोच्च अभिलाषा है। रोग रहित जीवन और स्वस्थ जीवन में अंतर है। रोगी शरीर में अंतर्संगीत नहीं होता। आयुर्वेद आचार आधारित आर्युिवज्ञान है और एलोपैथी उपचार आधारित चिकित्सा विज्ञान। स्वस्थ जीवन के लिए दोनों उपयोगी हैं, लेकिन यहां दोनों के समर्थक विद्वानों में परस्पर भिड़ंत है। शरीर रहस्यपूर्ण संरचना है। इसकी आंतरिक गतिविधि का बड़ा भाग जान लिया गया है। चिकित्सा विज्ञानियों को इसका श्रेय है। आयुर्वेद का जन्म लगभग 4000 वर्ष ईपू ऋग्वेद के रचनाकाल में हुआ और विकास अथर्ववेद (3000-2000 ईपू) में। मैकडनल और कीथ ने 'वैदिक इंडेक्स' में लिखा है, 'भारतीयों की रुचि शरीर रचना संबंधी प्रश्नों की ओर बहुत पहले से थी। अथर्ववेद में अनेक अंगों के विवरण हैं और यह गणना सुव्यवस्थित है।' इन लेखकों ने आयुर्वेद के दो आचार्यों चरक और सुश्रुत का उल्लेख किया है।