सम्पादकीय

अल्लाह तब तक असदुद्दीन ओवैसी की मदद नहीं करेंगे, जब तक वे खुद अपनी मदद नहीं करते

Gulabi
30 Dec 2021 12:16 PM GMT
अल्लाह तब तक असदुद्दीन ओवैसी की मदद नहीं करेंगे, जब तक वे खुद अपनी मदद नहीं करते
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असदुद्दीन ओवैसी विभाजन की कला में माहिर हैं
जहांगीर अली.
असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) विभाजन की कला में माहिर हैं. ऐसे समय जब देश को संप्रदायवाद से लड़ने के लिए एक धर्मनिर्पेक्ष नेता की सख्त जरूरत है, हैदराबाद के ये वकील उन्हीं के हाथों में खेल रहे हैं जो भारत के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की धमकी दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की तरफ बढ़ते उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक रैली को संबोधित करते हुए AIMIM के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद ने यूपी पुलिस को याद दिलाया और कहा, "मुसलमान खामोश हैं क्योंकि अभी उनका बुरा वक्त चल रहा है." उन्होंने आगे कहा, "वो ये उत्पीड़न नहीं भूलेंगे."
"अल्लाह अपनी शक्ति से आपको नष्ट कर देंगे. स्थितियां बदल जाएंगी. योगी अपने मठ में लौट जाएंगे. मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे. फिर आपके बचाव में कौन आएगा?" उन्होंने दहाड़ लगाई जिसका वहां मौजूद भीड़ ने जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस्तकबाल किया.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के सत्ता संभालने के बाद वहां मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे के नागरिकों की स्थिति स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया गया है. जहां 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली बार शपथ लेने के बाद देश भर में मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी है, उत्तर प्रदेश में इसकी संख्या में इजाफा का संदेहास्पद श्रेय योगी आदित्यनाथ को जाता है.
ओवैसी बीजेपी के बिछाए जाल में फंसते जा रहे हैं
सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए एक सोची-समझी रणनीति की जरूरत होगी जिसमें अलग-अलग समुदायों, विचारधाराओं और विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हों. मगर लगता है कि मुसलमानों की सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में ओवैसी बीजेपी के बिछाए जाल में फंसते जा रहे हैं. रैली में उनके धार्मिक व्याख्यान के बाद उनसे ये पूछने का मन करता है. सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए एक धर्मनिरपेक्ष रणनीति तैयार करने के बजाय जब ओवैसी बोलते हैं कि अल्लाह मुसलमानों की रक्षा के लिए आएगा तो उनमें और उस हिन्दू धार्मिक नेता में क्या अंतर रह जाता है जो भारत से सभी बुरे लोगों (मुसलमान) का सफाया करने की धमकी देता है?
अंत में, क्या ओवैसी चाहते हैं कि उन्हें केवल मुसलमानों के नेता के रूप में याद किया जाए या वो एक धर्मनिरपेक्ष नेता बनना चाहेंगे जो देश की बिगड़ी हुई अल्पसंख्यकों की राजनीति को एक बेहतर रूप दे सकें? मैं ओवैसी साहब को याद दिला दूं कि अल्लाह को चुनाव में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलता. निश्चय ही, अल्लाह अपने फरिश्तों को वोट डालने नहीं भेजेंगे ताकि चुनाव में उनकी पार्टी की संभावनाएं उज्ज्वल हों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में बिगड़े हुए सांप्रदायिक सौहार्द को बहाल किया जा सके.
अल्लाह यूपी के मुसलमानों की स्थिति तब तक नहीं सुधारेंगे जब तक उनके नेता संकीर्ण राजनीति के अपने ब्रांड को छोड़ नहीं देते. एक पुरानी कहावत है- ईश्वर उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं. मुसलमानों की अगुवाई करने का दावा करने वाले ओवैसी और उनके जैसे दूसरे नेताओं को करुणा और धर्मनिर्पेक्षता की राजनीति अपना कर ऐसा खुद ही करना होगा.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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