सम्पादकीय

टीवी न्यूज में सब फर्जी!

Gulabi
31 Dec 2020 10:45 AM GMT
टीवी न्यूज में सब फर्जी!
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टेलीविजन न्यूज चैनलों के न्यूज पर तो अब शायद ही किसी का भरोसा बचा है। वहां बात यह नहीं है कि

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। टेलीविजन न्यूज चैनलों के न्यूज पर तो अब शायद ही किसी का भरोसा बचा है। वहां बात यह नहीं है कि न्यूज के नाम पर मनोरंजन किया जाता है। बल्कि बात यहां तक पहुंच गई है कि न्यूज के नाम एक खास राजनीतिक एजेंडे को साधा जा रहा है। इसके बीच झूठ- सच, तर्क- कुतर्क सबका सहारा बेहिचक लिया जाता है। पहले कहा जाता था कि ये चैनल ऐसा करके टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) हड़पने की कोशिश करते हैँ। लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि इसमें भी एक बड़ा घोटाला है। टीआरपी घोटाले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के कोर्ट में ये लिखित दावा किया है कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थ दासगुप्ता को लाखों रुपये की रिश्वत दी थी। मुंबई पुलिस ने दासगुप्ता को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया था।


मीडिया में आई खबरों के मुताबिक दासगुप्ता की हिरासत पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा कि उन्होंने रिपब्लिक टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए के लिए अर्नब गोस्वामी के साथ साजिश रची। पुलिस ने अपने रिमांड नोट में कोर्ट को बताया कि दासगुप्ता ने बार्क के एक और पूर्व बड़े अधिकारी के साथ मिलकर रिपब्लिक टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए हेरफेर की और वे इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि दासगुप्ता ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। साथ ही रिपब्लिक भारत और रिपब्लिक टीवी (अंग्रेजी) की टीआरपी अवैध तरीके से बढ़ाई। दासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 के बीच बार्क के सीईओ थे। पुलिस ने यह दावा करते हुए पूर्व सीईओ की हिरासत को और अधिक बढ़ाने की मांग की, जिससे यह जांच की जा सके कि इस तरह के और भुगतान किए गए थे या नहीं। पुलिस की मांग के बाद कोर्ट ने उनकी रिमांड 30 दिसंबर तक बढ़ा दी है। यह पहला मौका है जब पुलिस ने अर्नब गोस्वामी की कथित भूमिका का जिक्र टीआरपी घोटाले में किया है। हालांकि रिमांड नोट में "रिपब्लिक ओनर्स" लिखा गया है। यानी स्पष्ट तौर पर गोस्वामी का नाम नहीं लिखा गया है। लेकिन गोस्वामी इस चैनल के मालिक हैं, यह जग जाहिर है। मुमकिन है कि मुंबई पुलिस की इस कांड में सक्रियता के पीछे सियासी दबाव या मकसद हों। लेकिन जो आरोप उसने लगाए हैं, वे इतने संगीन हैं कि उनकी सच्चाई सामने लाना बेहद जरूरी है।


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