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- सब बैकअप वैक्सीन ही...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस की महामारी इतनी भयावह और विशाल है कि दुनिया के सारे देशों ने वैक्सीन बनाने के तमाम स्थापित और मान्य नियमों-मानकों को ताक पर रख कर एक साल की अवधि में बनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। इससे पहले जो वैक्सीन सबसे कम समय में बन कर तैयार हुई थी वह मम्प्स यानी घेघा रोग की वैक्सीन थी, जो साढ़े चार साल में बनी थी। उससे पहले आमतौर पर वैक्सीन तैयार होने में सात से आठ साल का समय लगता था। वैक्सीन निर्माण में इतना समय इसलिए लिया जाता था ताकि दुनिया में हर किस्म के इंसान पर इसका परीक्षण हो सके और इसके किसी भी संभावित साइड इफेक्ट का पता लगाया जा सके साथ ही इस बात का भी पता लगाया जा सके कि इसका असर कितने समय तक रहेगा। तब हजारों नहीं, बल्कि लाखों लोगों पर बरसों तक परीक्षण चलते थे उसके बाद वैक्सीन को मंजूरी मिलती थी।