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Written by जनसत्ता; श्रीलंका बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। हालात बेहद विकट हैं। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। गंभीर वित्तीय संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार के पास स्कूलों में परीक्षा कराने के लिए कागज और स्याही आयात करने तक का पैसा नहीं है। निवेश बंद है, नौकरियां खत्म हो रही हैं, बेरोजगारी का गंभीर संकट है। विदेशी कर्ज से देश हलकान है। विदेश मुद्रा भंडार खाली हो गया है। यह सब गलत वित्तीय प्रबंधन, आर्थिक नीतियों और योजनाओं का दुष्परिणाम है।
कर्ज लेकर जनता को मुफ्तखोरी की आदत डालना श्रीलंका को भारी पड़ गया है। 'कर्ज लेकर घी पीने' के दर्शन का इससे बड़ा और क्या उदाहरण हो सकता है। श्रीलंका में दिनोंदिन गहराते आर्थिक संकट की स्थिति में जनता सड़क पर उतर आई है और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार ने सार्वजनिक आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी थी। साथ ; ही अब वह सहायता के लिए भारत सहित अन्य देशों का मुखापेक्षी हो गया है।
श्रीलंका की वर्तमान दशा देख कर हमें भी सबक लेना चाहिए। अगर हम भी मुफ्त के बिजली, पानी, राशन सहित अन्य मुफ्तखोरी की योजनाओं को बढ़ावा देते रहे, तो आने वाले समय में हमें भी ऐसे ही दिन देखने पड़ सकते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि समय रहते देश-प्रदेशों की सरकारें और हम आम जनता इस बात को समझ लें। खासतौर पर सरकारों को लोगों को मुफ्त मदद के बजाय रोजमर्रा की की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजगार का अधिकार और आम दिनों के सहज वातावरण की सुविधा सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए। महामारी के नाम पर लोगों को खाने और सामान्य जीवन के अधिकार से वंचित करना लंबे समय में शायद अच्छे नतीजे नहीं दे।आम उठाया
इन दिनों पूरी दुनिया की नजर रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई पर टिकी हुई है। ऐसे में चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। इस बीच चीन को युद्ध से बहुत फायदा मिल रहा है और वह खामोशी के साथ धीरे-धीरे एशिया में अपनी स्थलीय और सामुदायिक सीमाओं का विस्तार करने के साथ-साथ पूर्व एशिया में स्थित ताइवान पर दबाव बढ़ा रहा है। चीन अपनी यथाशक्ति को मजबूत करने में लगा है। ऐसे में चीन का उद्देश्य खुद से कमजोर क्षेत्र को अपने कब्जे में लेकर उसके ऊपर दबाव डाल कर अपनी मनमर्जी कराना है।
भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए समय-समय पर कई आनलाइन सुविधाओं का विस्तार किया है। मतदान के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज पहचान पत्र होता है जो बीएलओ के माध्यम मिलता है। इसी कड़ी में नए मतदाताओं को ई-इपिक कार्ड डाउनलोड करने की सुविधा दी गई है, जबकि पुराने मतदाता इस लाभ से वंचित हैं। निर्वाचन आयोग सभी मतदाताओं को इपिक डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान करे, ताकि सभी मतदाताओं को आसानी हो।