सम्पादकीय

Albert Einstein: फिर सच साबित हुए आइंस्टीन

Rounak Dey
29 Aug 2022 1:45 AM GMT
Albert Einstein: फिर सच साबित हुए आइंस्टीन
x
इस प्रयोग से उनकी यह बात सिद्ध हो गई है।

बीसवीं सदी के महानतम वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत आज भी प्रयोगों की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं। दुनिया उनकी गुरुत्वाकर्षण और ब्रह्मांड संबंधी मान्यताओं को सौ साल बाद 21 वीं सदी में भी सही सिद्ध होती हुई देख रही है। पिछले दिनों आइंस्टीन की दो धारणाओं के पक्ष में ठोस प्रयोगिक सबूत पाए गए हैं। करीब पचास साल से वैज्ञानिक ऐसा प्रयोग करने की कोशिश कर रहे थे, जिससे गुरुत्वाकर्षण से संबंधित आइंस्टीन का सिद्धांत सिद्ध हो। सौ साल पहले आइंस्टीन ने गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। एक बार फिर इसकी पुष्टि नासा के प्रयोग से हुई है।




सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के प्रस्तुतिकरण के आठ दशक तक गुरुत्वाकर्षण लहर का पता नहीं चला था। वर्ष 1974 में दो रेडियो खगोलविदों जोसेफ टेलर और रसेल हल्स ने एक दूसरे की परिक्रमा करने वाले न्यूट्रॉन सितारों की एक जोड़ी का विश्लेषण कर महसूस किया कि कक्षाएं उस दर से गति कर रही थीं, जिस दर से आइंस्टीन ने भविष्यवाणी की थी। गुरुत्वीय तरंगों के पहले अप्रत्यक्ष प्रमाण तो थे, पर लहरों को सीधे तौर पर मापा नहीं गया था।आइंस्टीन का मत था कि अंतरिक्ष और काल का सारा ताना-बाना इन्हीं गुरुत्वीय तरंगों का बुना हुआ है। आइंस्टीन का सिद्धांत यह है कि काल और अंतरिक्ष (टाइम ऐंड स्पेस) में किसी भी भारी पिंड की वजह से जो झोल पड़ जाता है, वही गुरुत्वाकर्षण है। वर्षों की मेहनत के बाद जो आंकड़े सामने आए, उनसे यह निष्कर्ष निकला कि पृथ्वी के आसपास सचमुच गुरुत्वाकर्षण में अनियमित सिलवटें पाई जाती हैं।


कुछ ही दिन पहले नासा ने खगोलीय स्तर पर गुरुत्व का परीक्षण किया और पाया है कि आइंस्टीन के गुरुत्व का सिद्धांत खगोलीय स्तर पर पूरी तरह से सही है। दरअसल, ब्रह्मांड का जिस तेजी से विस्तार हो रहा है, अभी तक के सभी भौतिकी और खगोलीय सिद्धांत इसकी व्याख्या करने में नाकाम रहे हैं। कई वैज्ञानिकों ने इसके पीछे डार्क एनर्जी का होना बताया है। लेकिन डार्क एनर्जी खुद एक रहस्य है। कई वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि अगर डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के विस्तार की व्याख्या नहीं कर सकती, तो हमें कुछ समीकरणों में बदलाव करने होंगे और नए तत्वों का समावेश करना होगा। इसे जांचने कि लिए डार्क एनर्जी सर्वे के सदस्यों ने यह खोजने का प्रयास किया कि क्या गुरुत्व की शक्ति में ब्रह्मांड के इतिहास या दूरी के साथ बदलाव आता है? ब्लैंको टेलीस्कोप के अलावा शोधकर्ताओं ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्लैंक सैटेलाइट का भी अध्ययन किया और पाया कि आइंस्टीन का गुरुत्व का सिद्धांत अब भी सही है।

लुसियाना में मौजूद उन्नतशील 'लिगो डिटेक्टर' ने भी अंतरिक्ष में ऐसे संकेत पकड़े थे, जिनसे गुरुत्वीय तरंगों की पुष्टि हुई थी और इतिहास में पहली बार लिगो साइंटिफिक कोलेबरेशन के वैज्ञानिकों ने इन तरंगों से पैदा होने वाली लहरों का सीधे तौर पर अनुभव किया था। वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड का 70 प्रतिशत भाग 'डार्क एनर्जी' से ही बना है। इसकी वजह से ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है और आकाशीय पिंड एक-दूसरे से दूर जा रहे हैं। हालांकि यह ऊर्जा क्या है, किसी को नहीं पता। कई वैज्ञानिक हजारों-लाखों प्रकाश वर्ष दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन करके डार्क एनर्जी और इसके गुणों को जांचने की कोशिश कर रहे हैं। जो तथ्य और आंकड़े मिले हैं, उनसे साबित होता है कि जिसे आइंस्टीन 'ब्लंडर' मानते थे, वह भी
उनकी प्रतिभा का एक कमाल था, जो आज सच साबित हो रहा है।

कुछ वर्ष पहले उनके सिद्धांत की पुष्टि के लिए अमेरिका की 'नेशनल रेडियो स्ट्रोनॉमिकल आब्जर्वेटरी' ने बृहस्पति ग्रह से पृथ्वी की ओर आती एक प्रकाश किरण की गति और उसके मार्ग की नाप-जोख की। इसमें यह देखा गया कि यह प्रकाश जब बृहस्पति के पास गुजर रहा था, तो उसने अपनी दिशा बदल दी और पृथ्वी की ओर मुड़ गया। आइंस्टीन ने कहा था कि पदार्थ और ऊर्जा, दोनों एक ही हंै, इसलिए जब कोई किरण किसी ग्रह के पास से गुजरती है, तो ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उसकी दिशा बदल जाती है। इस प्रयोग से उनकी यह बात सिद्ध हो गई है।

सोर्स: अमर उजाला


Next Story