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इसका मतलब है कि पाकिस्तान चुनाव के मौके पर पंजाब को अशांत करने के लिए सक्रिय हो गया है
लुधियाना अदालत परिसर में हुए बम धमाके को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, वे चिंतित करने वाले हैं। यह बम विस्फोट केवल यही नहीं बता रहा कि चुनाव के अवसर पर पंजाब का माहौल बिगाड़ने की हरकत की गई, बल्कि यह भी इंगित कर रहा कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तान में पल रहे खालिस्तानी तत्व हैं। अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार अदालत परिसर में मारा गया व्यक्ति ही बम लेकर आया था और उसे पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी तत्वों ने विस्फोट करने भेजा था।
इसका मतलब है कि पाकिस्तान चुनाव के मौके पर पंजाब को अशांत करने के लिए सक्रिय हो गया है। उसकी यह सक्रियता नई नहीं। 2017 में भी विधानसभा चुनाव के पहले बठिंडा में बम धमाका हुआ था, जिसमें सात लोग मारे गए थे। इसके अलावा इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पंजाब में सीमा पार यानी पाकिस्तान से एक अर्से से हथियार और नशीले पदार्थ भेजे जा रहे हैं। इसके लिए ड्रोन का भी सहारा लिया जा रहा है। यह ठीक है कि ड्रोन से भेजे गए कुछ हथियार, विस्फोटक और नशीले पदार्थ बरामद कर लिए गए, लेकिन इसकी आशंका है कि कुछ उन तत्वों के हाथ लग गए होंगे, जिनके लिए उन्हें भेजा गया था।
स्पष्ट है कि जितनी जरूरत लुधियाना अदालत परिसर में हुए बम विस्फोट की तह तक जाने की है, उतनी ही पाकिस्तान से सावधान रहने की भी। पंजाब में बेअदबी की जो घटनाएं हुई हैं, उनके पीछे भी कोई बड़ी साजिश नजर आती है। इस साजिश में भी विदेशी ताकतों का हाथ हो तो हैरानी नहीं।यह विचित्र है कि जब पाकिस्तान के कुटिल इरादों से सतर्क रहने की आवश्यकता है, तब पंजाब के कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांधना पसंद करते हैं। पाकिस्तान पर तनिक भी भरोसा नहीं किया जा सकता। वह बातें भले ही दोस्ती की करता हो, लेकिन काम दुश्मनी वाले ही करता है।
यह ठीक है कि सभी दलों ने लुधियाना की घटना की कड़ी निंदा की है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थो को पूरा करने के उद्देश्य से बेजा आरोप उछालने से बचा जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो इसका लाभ देश विरोधी ताकतें ही उठाएंगी। यह समझने की जरूरत है कि आतंकवाद का मुकाबला दलगत राजनीतिक हितों से परे हटकर ही किया जा सकता है। यह समय की मांग है कि जहां पंजाब पुलिस और चौकसी बरते, वहीं केंद्रीय एजेंसियां भी पाकिस्तान के इशारे पर होने वाली गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें। पाकिस्तान से लगती सीमा पर और अधिक सावधानी भी वक्त की जरूरत है.
दैनिक जागरण
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