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आदित्य चोपड़ा; पिछले दिनों से कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों में लगातार बढ़ौतरी देखी जा रही है। पंजाब में लोकप्रिय गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद कई बड़े आपराधिक मामलों में कनाडा में बैठे गैंगस्टरों का नाम सामने आ रहा है। सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के तार भी कनाडा में बैठे गोल्डी बरार से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा भी पंजाब में हुई कई बड़ी आपराधिक घटनाओं में कनाडा में बैठे गैंगस्टरों के नाम जुड़ रहे हैं। पंजाब पुलिस ने आईएसआई समर्थक जिस टैरर मॉडयूल का खुलासा किया है उसे कनाडा और पाकिस्तान में बैठा सरगना संचालित कर रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई और कनाडा में बैठे खालिस्तान समर्थकों से िमलीभगत कर पंजाब में खालिस्तान की िचंगारी फिर से भड़काने की साजिशें रची जा रही हैं। कनाडा की ट्रूडो सरकार अपनी घरेलू सियासत के चलते खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों को पूरी तरह शरण देती नजर आ रही है और वहां की सरकार ने खालिस्तानी जनमत संग्रह को चुपके से इजाजत दे रखी है।भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा में तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कनाडा सरकार से कड़ा प्रोटेस्ट जताया है। भारत का कहना है िक एक मित्र देश में कट्टरपंथी और चरमपंथी तत्वों को राजनीति से प्रेरित ऐसी गतिविधियों की अनुमति देना आपत्तिजनक है। यद्यपि कनाडा सरकार ने कहा है कि वह तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देता, लेकिन उसका रवैया दोहरा हो रहा है। भारत का कहना है कि कनाडा ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।कुछ दिन पहले कनाडा के मोंटोरियो में हुई गोलीबारी में एक भारतीय छात्र की मौत हो गई थी। 2021 में कनाडा में 23 साल के भारतीय युवक प्रभजोत सिंह की हत्या कर दी गई थी। प्रभजोत मूल रूप से पंजाब के मोगा का रहने वाला था। प्रभजोत सिंह टैक्सी चलाने के साथ-साथ एक रैस्टोरेंट में भी काम करता था आैर साथ में पोस्ट ग्रेज्यूएशन की भी तैयारी कर रहा था। इसी वर्ष 15 जुलाई को आेंटेरियो में कुछ खालिस्तान समर्थकों ने रिचमंड हिल में महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ दी और उस पर खालिस्तानी नारे भी िलख दिए। वहीं योंग स्ट्रीट और गार्डन एवेन्यू के विष्णु मंदिर में लगी प्रतिमा को तोड़ा गया। इसी महीने 15 सितम्बर को टोरंटो में स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी और मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान जिन्दाबाद और भारत विरोधी बातें लिखी गई थी। कनाडा में ब्राम्पटन में हिन्दू सभा मंदिर और जगन्नाथ मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई थी। संपादकीय :आज कहां जा रही है नैतिकता?ईरान में हिजाब का 'अजाब'पीएफआई पर सर्जिकल स्ट्राइकसंघ का हिन्दू-मुस्लिम विमर्शयुद्ध खतरनाक मोड़ परगरीबी हो आरक्षण का आधार?कनाडा में पंजाब के काफी लोग रहते हैं और उनमें से कई ने अपने गिरोह स्थापित कर लिए हैं, जिनका काम नशे का कारोबार करना, भारत विरोधी गतििवधियों को हवा देना। खालिस्तान के नाम पर अपनी राजनीति की दुकान चलाना और पंजाब के गांव से आने वाले बच्चों को वर्क परमिट िदलाने के नाम पर शोषण करना ही रह गया है। उन्होंने भारतीय छात्रों की मदद के लिए दुकानें खोल रखी हैं लेकिन वह ऐसे गिरोह का संचालन कर रहे हैं जिनका काम केवल छात्रों और भारतीय मजदूरों को लूटना होता है। वर्क परमिट दिलाने के नाम पर इन मजदूरों का जमकर शोषण करते हैं, उनसे 12-12 घंटे काम लिया जाता है। वहां बैठे गिरोहों की पंजाब के गैंगस्टरों से पूरी साठगांठ है और वह कनाडा में बैठे-बैठे हत्या की सुपारी लेते हैं। पंजाब में हिन्दू नेताओं की टारगेट किलिंग की साजिश भी कनाडा में ही रची गई थी। इन आपराधिक वारदातों को देखते हुए कनाडा में हेट क्राइम, साम्प्रदायिक हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। कनाडा पंजाब के सिखों और भारतीय छात्रों की पहली पसंद है। इन सब घटनाओं को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने वहां रहने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी करके उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय टोरंटो, वैंक्यूवर और अन्य जगह जहां भी वे रह रहे हैं। वहीं से भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास से सम्पर्क कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार से भारतीयों के प्रति अपराधों को रोकने और अपराधियों को न्याय के कठघरे में खड़ा करने की मांग की है। कनाडा में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह अपने आप में हास्यास्पद है और ओंटेरियो प्रशासन द्वारा जनमत संग्रह को रोकने के िलए कोई कार्रवाई न करना अपने आप में एक गम्भीर मामला है। यह भी सही है िक कनाडा में उसके नागरिकों को इकट्ठा होने और शांतिपूर्वक और कानूनी रूप से अपने िवचार व्यक्त करने का अधिकार है। लेकिन कनाडा को भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान तो करना ही होगा। भारत सरकार कनाडा में बैठे गिरोहों को भारत में संचालित नहीं होने देगी। यह विदेश में बैठकर आपराधिक गिरोहों का भारत में खुला हस्तक्षेप होगा। ऐसा हस्तक्षेप कोई सहन नहीं कर सकता। भारत में पुलिस और अन्य जांच एजैंसियां लगातार खुलासे कर रही हैं, लेकिन कनाडा सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाना होगा। कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियां कोई नई नहीं हैं। 22 जून, 1985 को आयरिश हवाई क्षेत्र में आसमान में ही एयर इंडिया के कनिष्क विमान में जोरदार धमाका हुआ था, जिसमें 321 यात्री और 22 चालक दल के सदस्य मारे गए थे। धमाके के बाद विमान समुद्र में जा गिरा था। इस बम धमाके में सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक और बब्बर खालसा के उसके साथी अजायन सिंह बागड़ी को आरोपी बनाया गया था। 20 साल बाद 2005 में कनाडा की कोर्ट में इन दोनों को बरी कर दिया था। इसी वर्ष 15 जुलाई को रिपुदमन सिंह मलिक की वेंक्यूवर में गोली मार कर हत्या कर दी थी। रिपुदमन सिंह को गोली क्यों मारी गई थी, इसका पता आज तक कनाडा पुलिस नहीं लगा पाई। रिपुदमन पहले खालिस्तान मूवमेंट के समर्थक थे लेकिन बाद में उनकी विचारधारा बदल गई। इसी साल जनवरी में इन्होंने भारत में सिख समुदाय के लिए उठाए गए कदमों के लिए मोदी सरकार की जमकर तारीफ की थी। ऐसा दावा भी किया जा रहा है कि रिपुदमन की हत्या मोदी की तारीफ करने के बाद की गई। भारत सरकार को कूटनीतिक माध्यमों से कनाडा सरकार पर दबाव बनाए रखना होगा, ताकि भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।