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- एयर इंडिया : निजीकरण...
केन्द्र सरकार ने अपने पहले के प्रयासों के विफल रहने के बाद एक बार फिर से लगातार घाटे और कर्ज के बोझ से पूरी तरह चरमर्रा चुकी एयर इंडिया के सौ फीसदी विनिवेश की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। वर्ष 2018 में भी सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास किया था लेकिन अलग-अलग कारणों से एयर इंडिया काे कोई खरीदार नहीं मिल सका था। विश्व स्तर की कई एयरलाइनों का निजीकरण सफल रहा है, जैसे केन्या एयरवेज और सामोआ की पोल्नेसियन ब्लू का 21 वर्ष पहले निजीकरण किया गया था। इन दोनों एयर लाइनों से कई वर्षों तक लाभ प्राप्त हुआ तथा इन्होंने संबंधित देश में पर्यटन क्षेत्र के विकास में अमूल्य योगदान दिया। कोई भी सरकार लगातार घाटे और ऋण में दबी कम्पनी को कब तक चलाएगी, यह सवाल सबके सामने है। यह सही है कि एयर इंडिया फर्स्ट क्लास असेट है लेकिन इस पर कुल कर्ज करीब 60 हजार करोड़ है। एयर इंडिया के भविष्य को लेकर विमान मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बड़ा वक्तव्य दिया है कि अब सरकार के पास केवल दो विकल्प रह गए हैं, पहला इसका 100 फीसदी विनिवेश कर दिया जाए या फिर इसका संचालन पूरी तरह से बंद कर दे। ऐसी स्थिति में सरकार ने इसके विनिवेश का फैसला लिया है।