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- कृषि समर्थन मूल्य और...
केन्द्र सरकार ने वर्षा का मौसम शुरू होते ही खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के सन्दर्भ में न्यूतम समर्थन मूल्य घोषणा के कई आयाम हैं। पहला तो यह कि सरकार आश्वस्त करना चाहती है कि नये कानून लागू होने के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली जारी रहेगी। दूसरा पिछले छह महीने से भी ज्यादा समय से जारी किसानों का आन्दोलन लक्ष्यबोध खो चुका है और तीसरा यह कि सरकार किसानों की आय को समयानुरूप बढ़ाना चाहती है परन्तु इन तीनों मुद्दों पर किसानों की राय नकारात्मक है क्योंकि सरकार का यह कदम तदर्थ प्रणाली को ही आगे बढ़ाने का है जबकि तीन नये कृषि कानूनों के माध्यम से वह कृषि क्षेत्र को नये सांचे में पक्के तौर पर ढालना चाहती है। किसानों और सरकार के बीच में गतिरोध का मुख्य कारण भी यही है। कृषि विशेषज्ञों का शुरू से ही यह निवेदन रहा है कि कोरोना संक्रमण के बावजूद कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर को बनाये रखने के लिए किसानों को विशेष 'बोनस' मूल्य दिया जाना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह है कि कोरोना की परवाह न करते हुए किसानों ने अपनी मेहनत के बूते पर कृषि उपज को बढ़ाया और इस मोर्चे पर देश को आत्मनिर्भरता से भी ऊपर निकाल दिया।