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- बिना बहस के कृषि...

कानून वापस हुआ है, कानून के बनने की सोच वापस नहीं हुई है. सरकार ने कृषि कानूनों की वापसी के लिए जो बिल पेश किया, उसकी प्रस्तावना में कानूनों की तारीफ ही की. प्रस्तावना के पैराग्राफ तीन और चार में 26 पंक्तियों में तीनों कानूनों के फायदे बताए गए हैं और पैराग्राफ 5 और 6 में वापसी पर 14 पंक्तियां हैं. इससे यह साफ हो जाना चाहिए कि केवल कानून वापस हुआ है, कानून के पीछे की सोच नहीं. तो क्या किसानों को मान लेना चाहिए कि जो कानून वापस हुए हैं, वो अब कभी वापस नहीं होंगे या फिर से इनकी वापसी का दरवाज़ा अब भी खुला है.
कानून वापसी पर खुशी का इज़हार और भागड़ा करते इन किसानों को अगर अपनी जीत दिख रही है तो सरकार इसे अपनी हार के रुप में नहीं देख रही है. भांगड़ा करते हुए इन किसानों को अगर लगता है कि देश के किसानों की जीत हुई है तो सरकार ने साफ कर दिया कि ये कुछ किसान हैं. बिल की प्रस्तावना में भी लिखा है कि कुछ किसानों को बिल के फायदे नहीं समझा पाए. इन विधियों के विरुद्ध केवल किसानों का एक समूह ही विरोध कर रहा है. सरकार ने कृषि विधियों के महत्व पर किसानों को समझाने और विभिन्न बैठकों और अन्य मंचों के माध्यम से कृषि विधियों के गुणों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है. जैसे कि हम देश की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं इस समय प्रत्येक को समाविष्ट वृद्धि और विकास के पथ पर एक साथ ले चलने की आवश्यकता है.
