सम्पादकीय

सेना में अग्निवीर-2

Rani Sahu
24 Jun 2022 7:17 PM GMT
सेना में अग्निवीर-2
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देश में जिस तरह से हर दिन नया मुद्दा खबरों में चर्चा का विषय बना हुआ है

देश में जिस तरह से हर दिन नया मुद्दा खबरों में चर्चा का विषय बना हुआ है उनको देखते हुए परिस्थिति तथा मुद्दों का सही आकलन करने वाले बुद्धिजीवी भी संशय में हैं कि मौजूदा हालात में कौन सा विषय कितना महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद से शुरू हुई चर्चा नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान से होती हुई बुलडोजर कार्रवाई और ईडी की राहुल गांधी से पूछताछ से आगे बढ़कर भारतीय सेना में अग्निवीर पर शुरू की गई योजना से रुष्ट हुए युवा के सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन से शायद ही कोई शहर या नगर अछूता रह गया होगा। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार के शिवसैनिकों ने जो विरोध किया है उससे एक बात तो साफ हो गई है की आजादी के 75 साल के बाद ही सही पर संविधान में लिखी हुई बात कि राजा अब जन्म से नहीं कर्म से बनेंगे, शायद एकनाथ शिंदे ने बाला साहब की शिव सेना का असली उत्तराधिकारी बनने का जो दावा ठोका है, उससे यह बात चरितार्थ हो रही है कि ठाकरे साहब की विरासत का असली वारिस शायद उनके परिवार में जन्म लेने वाला नहीं बल्कि उनकी विचारधारा पर कर्म करने वाला होगा। शायद एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे तक कोई समस्या नहीं है, पर उद्धव के बाद आदित्य ठाकरे का बढ़ता कद शिवसेना को एक परिवारिक पार्टी बनाने की तरफ ले जा रहा है।

मौजूदा हालात जो बने हैं, इसके राजनीतिक परिणाम कुछ भी हों, पर यह एक अच्छी शुरुआत है कि राजशाही के समय से चली आ रही विरासत की लड़ाई जो आजादी के बाद भी राजनीतिक पार्टियों में भी बनी हुई है, जिसके उदाहरण तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा आदि के क्षेत्रीय दलों की सियासत में तो हैं ही, पर देश की मुख्य दो पार्टियों कांग्रेस और भाजपा में भी बहुत जगह देखने को मिल रही है। अब समय आ गया है कि आम जनता को यह तय करना पड़ेगा कि उनका प्रतिनिधित्व करने वाले मात्र राजनीतिक परिवार से संबंधित न होकर विचारधारा, कठिन परिश्रम और कर्म करने की योग्यता वाले होने चाहिएं। इसी के साथ अग्निवीर योजना में सरकार को कुछ बातों का ध्यान रखना बड़ा जरूरी था। जैसे इस योजना को पहले 5 वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करके इसके परिणामों का सही आकलन करने के बाद ही शुरू करना चाहिए था। दूसरा जो नियमित भर्तियों को सरकार ने एकदम से बंद कर दिया है उससे सेना पर होने वाले प्रभाव के परिणाम व्यथित करने वाले हो सकते हैं। जिन देशों में अल्पकालिक सैन्य सेवाएं शुरू की गई हैं उनमें जनसंख्या के हिसाब से युवाओं की गिनती कम है। भारत एक ऐसा देश है जिसमें ज्यादातर जनसंख्या युवा है और अगर नियमित भर्तियों में भी इन युवाओं को लिया जाएगा तो यह भारतीय सेनाओं को और भी मजबूत करेगी। सरकार अग्नि वीरों को भी नियमित भर्तियों में लेकर 4 से 5 साल बाद जो सैनिक शारीरिक तौर पर सैन्य ड्यूटी के लिए फिट नहीं बैठते हैं तो उनको सेना से ही दूसरे किसी विभाग में बदली कर स्थायी नौकरी का प्रबंध करवाने की कोई योजना बनाकर सामने लाए जिससे युवाओं को 4 साल बाद बेरोजगार होने का डर न सताए। आज सरकार की तरफ से युवाओं को सबसे बड़े आश्वासन की जरूरत यह है कि उनको 4 साल बाद बेरोजगार नहीं होने दिया जाएगा।
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक

सोर्स- divyahimachal


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