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- सेना में अग्निवीर-2
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देश में जिस तरह से हर दिन नया मुद्दा खबरों में चर्चा का विषय बना हुआ है उनको देखते हुए परिस्थिति तथा मुद्दों का सही आकलन करने वाले बुद्धिजीवी भी संशय में हैं कि मौजूदा हालात में कौन सा विषय कितना महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद से शुरू हुई चर्चा नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान से होती हुई बुलडोजर कार्रवाई और ईडी की राहुल गांधी से पूछताछ से आगे बढ़कर भारतीय सेना में अग्निवीर पर शुरू की गई योजना से रुष्ट हुए युवा के सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन से शायद ही कोई शहर या नगर अछूता रह गया होगा। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार के शिवसैनिकों ने जो विरोध किया है उससे एक बात तो साफ हो गई है की आजादी के 75 साल के बाद ही सही पर संविधान में लिखी हुई बात कि राजा अब जन्म से नहीं कर्म से बनेंगे, शायद एकनाथ शिंदे ने बाला साहब की शिव सेना का असली उत्तराधिकारी बनने का जो दावा ठोका है, उससे यह बात चरितार्थ हो रही है कि ठाकरे साहब की विरासत का असली वारिस शायद उनके परिवार में जन्म लेने वाला नहीं बल्कि उनकी विचारधारा पर कर्म करने वाला होगा। शायद एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे तक कोई समस्या नहीं है, पर उद्धव के बाद आदित्य ठाकरे का बढ़ता कद शिवसेना को एक परिवारिक पार्टी बनाने की तरफ ले जा रहा है।
सोर्स- divyahimachal
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