सम्पादकीय

विवाह की उम्र

Rani Sahu
17 Dec 2021 8:22 AM GMT
विवाह की उम्र
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भारत में महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़कर 21 होने वाली है, इस फैसले पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लग गई

भारत में महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़कर 21 होने वाली है, इस फैसले पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लग गई। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में इशारा कर दिया था। प्रधानमंत्री ने तब कहा था, 'सरकार बेटियों और बहनों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी सही उम्र में शादी हो।' इसके लिए एक टास्क फोर्स की स्थापना हुई थी, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। टास्क फोर्स ने पुरजोर तरीके से कहा था कि पहली गर्भावस्था के समय किसी महिला की आयु कम से कम 21 साल होनी चाहिए। देर से विवाह होने पर परिवारों की वित्तीय, सामाजिक और स्वास्थ्य की स्थिति मजबूत होती है। देर से शादी होने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ने और आजीविका चुनने का मौका मिलता है। जगजाहिर है कि बड़ी संख्या में लड़कियों की पढ़ाई शादी की वजह से बाधित होती है।

मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद भी लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 21 करने की प्रक्रिया में वक्त लग सकता है, क्योंकि इसके लिए अनेक बदलाव करने पड़ेंगे। बाल विवाह निषेध अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम में बदलाव जरूरी हैं। कानून में बदलाव के बाद सरकारों को महिलाओं की स्थिति सुधारने पर और ध्यान देना होगा। बेशक, विगत दशकों में बाल विवाह पर काफी हद तक रोक लगी है। लड़कियों की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और स्वास्थ्य की स्थिति में काफी सुधार आया है, लेकिन अभी भी समाज में एक बड़ा तबका है, जो 18 साल की न्यूनतम विवाह उम्र को नहीं मान रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2020 के आंकड़ों के अनुसार, बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कुल 785 मामले दर्ज किए गए थे। ध्यान रहे, ये दर्ज मामले हैं, वास्तविक बाल विवाह के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा होगी। जो राज्य विकास के मामले में कुछ आगे निकल रहे हैं, वहां लड़कियां स्वयं भी बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने लगी हैं।
यदि विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होती है, तो सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लड़कियों का मनोबल बढ़ेगा। वे बाल विवाह जैसे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस करेंगी। परिवार व समाज को बेटी के 21 साल की होने का इंतजार करना पड़ेगा। यहां यह भी जरूर कहना चाहिए कि कानून बनाने से ज्यादा जरूरी है, उसे संपूर्णता में लागू करना। परिवार व समाज को बेटियों के व्यापक विकास के लिए ज्यादा ईमानदारी से सोचना चाहिए। अब भारत में पुरुष और महिला, दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु सीमा 21 हो जाएगी। यहां तक कि अमेरिका में भी ऐसी उच्च सीमा नहीं है। वहां साल 2000 से 2015 के बीच अवयस्कों के दो लाख से ज्यादा वैध विवाह दर्ज हुए थे। लेकिन वह अलग तरह के सामाजिक ढांचे वाला अमीर शिक्षित देश है, जबकि भारत में सामाजिक ढांचा दूसरी तरह का है, यहां कानून बनाकर और उसे ढंग से लागू करके ही आदर्श समानता व समावेशी विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।

हिंदुस्तान

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