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आज के दौर में राजद्रोह कानून का सवालों के कठघरे में खड़ा होना न केवल सामान्य, बल्कि स्वाभाविक बात है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को औपनिवेशिक काल की देन बताते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर इस कानून को खत्म क्यों नहीं किया जा रहा? यह आजादी के आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कानून था। शीर्ष अदालत ने इस दंडात्मक कानून की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब-तलब किया है। कोई आश्चर्य नहीं, नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने कहा है कि राजद्रोह कानून का मकसद स्वतंत्रता संग्राम को दबाना था, जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को चुप कराने के लिए किया था। अदालत की इस आपत्ति का स्वागत किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में लोक को हमेशा सम्मान हासिल होना चाहिए, लेकिन जब लोक पर तंत्र हावी हो जाता है, तब जाहिर है, लोकतंत्र का स्वरूप बिगड़ जाता है। राजद्रोह कानून से क्या देश को लाभ हो रहा है?