सम्पादकीय

आतंकवाद के खिलाफ

Gulabi
6 Feb 2021 9:51 AM GMT
आतंकवाद के खिलाफ
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यह सूचना बहुत नहीं चौंकाती कि ईरानी सेना के जवान पाकिस्तान से अपने दो साथियों को छुड़ा ले गए हैं।

यह सूचना बहुत नहीं चौंकाती कि ईरानी सेना के जवान पाकिस्तान से अपने दो साथियों को छुड़ा ले गए हैं।यह सूचना बहुत नहीं चौंकाती कि ईरानी सेना के जवान पाकिस्तान से अपने दो साथियों को छुड़ा ले गए हैं।पाकिस्तान चूंकि आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है, इसलिए उस पर पड़ोसी देशों द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक कतई चिंता की बात नहीं। ईरान की ओर से यह खबर चली है, लेकिन पाकिस्तान शायद इस पर चुप्पी बरतते हुए आलोचना और निंदा से बचना चाहता है। ईरान भी शायद अभियान पूरा होने के बाद हो-हल्ले से बचेगा, क्योंकि इमरान खान के समय ईरान के साथ पाकिस्तान के संबंध कुछ ठीक बताए जाते हैं। ऐसे में, इस सैन्य अभियान की पूरी सच्चाई शायद ही सामने आएगी।

बहरहाल, ईरान के रेवॉल्यूशनरी गाड्र्स पाकिस्तान में आतंकियों के कब्जे से अपने दो साथियों को मुक्त करा ले गए हैं, तो उनकी इस कार्रवाई को गलत नहीं ठहराया जा सकता। ईरान के 12 सैनिकों का 2018 में अपहरण किया गया था। 12 में से कम से कम नौ सैनिकों की रिहाई हो गई थी और अपने बाकी जवानों को बचाने के लिए ईरान आतंकी संगठन जैश उल-अदल को काफी समय से चेतावनी देता आ रहा था, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से निकलने लगा, तब ईरान ने मंगलवार रात सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया।

अगर ईरान के गाड्र्स ने वाकई पाकिस्तान में घुसकर इस सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है, तो यह इस पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण घटना है। पाकिस्तान को अपने यहां ऐसी घटनाओं या अपनी बेइज्जती पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ओसामा बिन लादेन जैसे खूंखार आतंकी को अमेरिका ने पाकिस्तान में ही मार गिराया था, लेकिन उसके बावजूद पाकिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है। जैश उल-अदल या जैश अल-अदल एक आतंकी संगठन है, जो मुख्यत: दक्षिणी-पूर्वी ईरान में सक्रिय है, लेकिन इसका आधार पाकिस्तान में है। आदर्श स्थिति तो यही थी कि ऐसे आतंकी शिविरों का पाकिस्तान खुद खात्मा करता, लेकिन पाकिस्तान जब आतंकियों के खिलाफ वाजिब कदम नहीं उठाता है, तब अमेरिका, भारत या ईरान जैसे देशों को आगे बढ़कर सही फैसला करना पड़ता है। पाकिस्तान अगर अपनी जमीन का दुरुपयोग नहीं रोकेगा, तो उसे आने वाले दिनों में ऐसे ही शर्मसार होने से कोई बचा नहीं पाएगा? हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या पाकिस्तान को ऐसी घटनाओं पर शर्म आती है? अगर आतंकी गतिविधियों को बढ़ाते हुए शर्म का एहसास नहीं होता, तो जाहिर है, दूसरे देशों की सैन्य कार्रवाई पर गुस्सा जरूर आता होगा, लेकिन शायद शर्म नहीं। यही पाकिस्तान में गिरावट की मूल वजह है। आज जैसी दुनिया है, कोई भी देश अपने किसी पड़ोसी की आतंकी कार्रवाई को नहीं झेलेगा। क्या चीन अपने 'आयरन ब्रदर' पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को अपने यहां बर्दाश्त करेगा? पाकिस्तान को आज नहीं कल सुधरना ही पड़ेगा। पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया, इससे दुनिया में क्या संदेश गया है? जो देश घोषित आतंकवादियों और अपने असली दुश्मनों को पहचानने में नाकाम हो रहा है, उसे राह दिखाने की पहल दुनिया को करनी चाहिए। चीन आतंकवाद का दर्द नहीं जानता या अनजान बने रहने में अपना फायदा देखता है, पर अमेरिका भुक्तभोगी है, उसे आगे आकर पाकिस्तान में सुधार की चौतरफा कोशिशें करनी चाहिए


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