सम्पादकीय

आतंक के खिलाफ

Neha Dani
11 Sep 2021 1:43 AM GMT
आतंक के खिलाफ
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पाकिस्तान तालिबान लड़ाकों को कश्मीर में भेजेगा और अशांति पैदा करने की कोशिश करेगा।

ब्रिक्स देशों की सालाना बैठक में अफगानिस्तान और आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा। यह इस बात को रेखांकित करता है कि आतंकवाद और अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम से सिर्फ भारत ही परेशान नहीं हैं, बल्कि रूस और चीन जैसे देश भी चिंतित हैं। यह चिंता इस अपील में स्पष्ट रूप से झलकी है जिसमें ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने अफगानिस्तान को आतंकवाद की पनाहगाह बनने से रोकने की अपील की है। बैठक के बाद जारी घोषणापत्र में सबसे ज्यादा जोर आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई पर रहा। अगर उपलब्धि के लिहाज से देखें तो बैठक में आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति बनाने पर सहमति बनी और इसके तहत एक कार्ययोजना को हरी झंडी दी गई। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि ब्रिक्स देशों में भारत ही आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।

अफगानिस्तान के घटनाक्रम भी भारत के लिए कम चिंताजनक नहीं हैं। वहां भारतीय मूल के लोगों की सुरक्षा से लेकर तालिबान सरकार के साथ संबंध जैसे जटिल मुद्दों ने भारत के सामने संकट तो खड़ा कर ही दिया है। जहां चीन और रूस ने खुल कर तालिबान सरकार को समर्थन दे दिया है, वहीं भारत अभी तक 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर चल रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर ब्रिक्स समूह की घोषणा कितनी कारगर रहेगी, अभी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
गौरतलब है कि भारत लंबे समय से सीमापार आतंकवाद झेल रहा है। यह तो पूरा विश्व जान और देख रहा है कि भारत में आतंकवाद का सबसे बड़ा और एकमात्र कारण पड़ोसी देश पाकिस्तान है। सीमापार आतंकवाद का सिलसिला अभी भी जारी है। पर अब यह संकट इसलिए गहरा गया है क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आ गई है। भारत तात्कालिक तौर पर यह अंदेशा जता चुका है कि पाकिस्तान तालिबान लड़ाकों को कश्मीर में भेजेगा और अशांति पैदा करने की कोशिश करेगा।


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