सम्पादकीय

बूचा नरसंहार के खिलाफ

Subhi
7 April 2022 4:15 AM GMT
बूचा नरसंहार के खिलाफ
x
यूक्रेन के बूचा शहर से आई खबरें, तस्वीरें और विडियो फुटेज दिल दहला देने वाले हैं। आश्चर्य नहीं कि इनके सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल रूस के और खिलाफ हो गया है।

नवभारत टाइम्स: यूक्रेन के बूचा शहर से आई खबरें, तस्वीरें और विडियो फुटेज दिल दहला देने वाले हैं। आश्चर्य नहीं कि इनके सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल रूस के और खिलाफ हो गया है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने न केवल इन घटनाओं की भर्त्सना की बल्कि इनकी स्वतंत्र रूप से जांच कराए जाने की भी मांग की। भारत ने हालांकि अपने बयान में इस बार भी रूस का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत का अब तक का सबसे कड़ा बयान है। वैसे, रूस ने इन तस्वीरों और विडियो फुटेज को फर्जी बताया है। उसने कहा है कि रूसी फौज ने बूचा में आम लोगों की हत्या नहीं की है। इस बीच बदले अंतरराष्ट्रीय माहौल में अमेरिका की ओर से भारत पर रूस के खिलाफ स्पष्ट स्टैंड लेने का दबाव बढ़ना भी तय है। कई रूपों में इसकी शुरुआत भी हो गई है। वाइट हाउस प्रवक्ता ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में खास तौर पर भारत के संदर्भ में यह बात दोहराई कि उसके मुताबिक रूस से ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ाना भारत के हक में नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का बयान जारी होने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की। एक सप्ताह के अंदर उन दोनों के बीच यह दूसरी बातचीत थी। ध्यान रहे, इसी सोमवार को वॉशिगंटन में दोनों के बीच टू प्लस टू मीटिंग होने वाली है। उधर न केवल पेंटागन ने भारत के रूस से एस 400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने पर दोबारा टिप्पणी की है बल्कि अमेरिकी सांसदों ने रूस और भारत के बीच होने वाले डायमंड ट्रेड को भी निशाना बनाया है। हालिया रिपोर्ट के हवाले से इन सांसदों ने इस तथ्य की ओर ध्यान खींचा है कि दुनिया के 95 फीसदी हीरों की कटाई और पॉलिशिंग का काम भारत में होता है। ऐसे में रूसी कंपनियों द्वारा निकाले गए हीरों की भारत में कटाई और पॉलिशिंग किए जाने के बाद अगर वे अमेरिकी बाजार में बेचे जाते हैं तो बिना बाधा के रूसी कंपनी मुनाफा कमा लेती है। इन सांसदों ने बाइडन प्रशासन से इस कानूनी लूपहोल को दूर करने की अपील की है। ध्यान रहे, कटाई और पॉलिशिंग के बाद हीरों का निर्यात भारत के राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। यह सालाना करीब 20 अरब डॉलर का कारोबार है।

जाहिर है, अमेरिकी सांसदों की पहल आगे बढ़ी तो भारत को नुकसान होना तय है। बहरहाल, जहां तक रूस का सवाल है तो मानवाधिकार और शांति जैसे मसलों पर भारत का शुरू से स्पष्ट रुख रहा है जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में दिए उसके कड़े बयान में भी जाहिर होता है। उस रुख से समझौता करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं समझा जाना चाहिए कि भारत किसी के दबाव में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को और अपने राष्ट्रीय हितों को अनदेखा करते हुए कोई कदम उठाएगा।


Next Story