सम्पादकीय

मनमानी के खिलाफ

Triveni
17 Jun 2021 3:44 AM GMT
मनमानी के खिलाफ
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सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी के प्रति भारत सरकार की दृढ़ता की जितनी तारीफ की जाए कम है।

सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी के प्रति भारत सरकार की दृढ़ता की जितनी तारीफ की जाए कम है। किसी भी देश में सोशल मीडिया कंपनियों को इतनी आजादी नहीं है, जितनी उन्हें भारत में रही है। ऐसे में, सोशल मीडिया कंपनियों को पूरी सतर्कता के साथ सरकार के नियम-कायदे के हिसाब से चलना चाहिए, लेकिन यह अफसोस की बात है, ये कंपनियां मनमानी छोड़ने का नाम नहीं ले रही हैं। जब केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर के खिलाफ कडे़ कदम उठाए, तभी कंपनी ने सरकार को अपनी ओर से नियुक्त किए अंतरिम अनुपालन अधिकारी के बारे में जानकारी दी है। सोशल मीडिया के नए दिशा-निर्देश को लेकर छिडे़ विवाद के समाधान की दिशा में ट्विटर को बढ़ना ही होगा। अगर वह विवाद बढ़ाने की कोशिश करेगी, तो उसके खिलाफ सरकार का शिकंजा और कसता जाएगा। 26 मई से लागू दिशा-निर्देश का अनुपालन न होने के चलते ही ट्विटर को कानूनी कार्रवाई से मिली सुरक्षा खत्म कर दी गई है। यही कारण है कि गाजियाबाद में एक बुजुर्ग की कथित पिटाई के वीडियो के मामले में दर्ज एफआईआर में ट्विटर का नाम भी शामिल कर दिया गया है। यह एक शुरुआत है, ट्विटर को हर हाल में पूरी जिम्मेदारी का परिचय देना होगा। ऐसा हो नहीं सकता कि ट्विटर के मंच पर जिन चीजों का प्रसार हो, उनकी जवाबदेही से वह बच जाए। अगर आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह कहा है कि ट्विटर जान-बूझकर नियमों के पालन से बचता रहा है, तो कंपनी को सावधान हो जाना चाहिए। ट्विटर भारत में बहुत लोकप्रिय व उपयोगी सोशल मंच बन चुका है, इस पर मंत्री और अधिकारी भी आधिकारिक रूप से सूचनाएं जारी करते रहते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि ट्विटर को अपनी इस ताकत का दुरुपयोग करने दिया जाए। सरकार का कहना है, सोशल मीडिया कंपनी को नए नियमों के अनुपालन के लिए कई मौके दिए गए, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। एक गौर करने की बात यह भी है कि ट्विटर को भारत सरकार के निर्देशों के पालन में तेजी दिखानी चाहिए। उसे विचार करने या इंतजार करने की मुद्रा में ज्यादा नहीं दिखना चाहिए। यह नई बात नहीं है, ये दिग्गज सोशल मीडिया कंपनियां हर देश में अलग-अलग तरह से व्यवहार करती रही हैं। भारत में भी इनके काम करने की गति कुछ धीमी या अलहदा रही है। आईटी क्षेत्र के विशेषज्ञों को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्या ये कंपनियां भारत की उदारता का अधिकतम लाभ लेना चाहती हैं? क्या ये कंपनियां भारतीयों के अधिकार और सम्मान की रक्षा के प्रति पूरी तरह सचेत हैं? क्या इन कंपनियों की सच्चाई जांचने की नीति पक्षपाती रही है? क्या फेक न्यूज के खिलाफ ट्विटर की नीतियां कमजोर रही हैं? यदि यह कंपनी पहले से ही सचेत होती, तो यह नौबत ही नहीं आती। अब होगा क्या? जब भी कोई गलत या प्रतिकूल खबर ट्विटर पर चलेगी, तब ट्विटर को भी दोषी ठहराया जा सकेगा। उसके अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकेगी। अत: ट्विटर या सोशल मीडिया की किसी भी कंपनी को सावधान रहना चाहिए, ताकि भारत जैसे उदार या लचीले देश में अब तक मिलती रही सुरक्षा उन्हें सतत जारी रहे। यह समय विवाद बढ़ाने का नहीं, बल्कि समाधान तलाशने का है, ताकि लोगों को यह एहसास हो कि इन कंपनियों को भारत की परवाह है।


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