सम्पादकीय

फिर बढ़ता खतरा

Subhi
12 Aug 2022 5:12 AM GMT
फिर बढ़ता खतरा
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पिछले कुछ समय से कोरोना विषाणु के संक्रमण की रफ्तार धीमी होने की वजह से लोगों में यह धारणा बनने लगी थी कि अब खतरा टल गया है। यही वजह रही कि अपनी ओर से संक्रमण से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को लेकर लोग लापरवाही या उदासीनता बरतने लगे, जबकि तथ्य यह है

Written by जनसत्ता; पिछले कुछ समय से कोरोना विषाणु के संक्रमण की रफ्तार धीमी होने की वजह से लोगों में यह धारणा बनने लगी थी कि अब खतरा टल गया है। यही वजह रही कि अपनी ओर से संक्रमण से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को लेकर लोग लापरवाही या उदासीनता बरतने लगे, जबकि तथ्य यह है कि इस विषाणु के फैलने से रोकने के लिए जो उपाय लागू किए गए थे, उन्हीं के बूते संक्रमण के खतरे को कम किया जा सका था।

अब अगर बचाव के उन्हीं उपायों को लोग ताक पर रख कर अपना व्यवहार तय कर रहे हैं तो उसका नतीजा क्या हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

स्वाभाविक ही कुछ वक्त की दिखने वाली राहत के बाद अब एक बार फिर विषाणु के संक्रमण की ताजा रफ्तार ने आम लोगों से लेकर सरकार तक की चिंता बढ़ा दी है। खासतौर पर दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों से यही पता चलता है कि लोगों की यह धारणा गलत थी कि अब संक्रमण रुक गया है और इसे लेकर बहुत ज्यादा फिक्रमंद होने की जरूरत नहीं है।

जबकि शुरू से इस विषाणु और इसके अलग-अलग बहुरूप ने अपने संक्रमण को लेकर कोई स्थिर रवैया नहीं अपनाया। अब राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्य इलाकों में भी फिर संक्रमण की रफ्तार बढ़ती दिख रही है और इसे लेकर सरकारों को नए सिरे से सोचने पर विवश होना पड़ा है।

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को राजधानी में कोरोना के 2146 नए मामले सामने आए और यहां संक्रमण दर बढ़ कर करीब अठारह फीसद हो गई। सिर्फ अगस्त में अब तक इससे प्रभावित चालीस लोगों की मौत हो गई, जबकि जुलाई के आखिरी दस दिनों में कोरोना के चौदह संक्रमितों की जान गई थी। जाहिर है, हाल के दिनों में फिर से इस विषाणु ने आक्रामक रवैया अख्तियार करना शुरू कर दिया है।

हालांकि सरकार का कहना है कि नए मामले अभी हल्की प्रकृति के हैं, इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सावधानी के लिए सरकार ने बचाव के उपायों को लेकर नियम-कायदों को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। दिल्ली में मास्क नहीं लगाने पर अब फिर पांच सौ रुपए का जुर्माना देना होगा। यों स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने फिलहाल स्कूल बंद करने जैसे सुझाव नहीं दिए हैं, लेकिन हर स्तर पर सावधानी वक्त की जरूरत है।

दरअसल, इस बार कोरोना के ओमीक्रान बहुरूप के नए उप-रूप बीए2.75 की वजह से संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है। यानी हर कुछ समय बाद इसके स्वरूप में बदलाव आया है, जिसकी वजह से इससे निपटने को लेकर अतिरिक्त सजगता की जरूरत है।

आज यह नहीं कहा जा सकता है कि इस विषाणु के फैलने की कोई एक प्रकृति है और सिर्फ उसी को लेकर सावधान होना चाहिए। पहले यह जरूर कहा गया था कि कोरोना का टीका लोगों को इसके संक्रमण से सुरक्षा देगा, लेकिन इस विषाणु के फैलने की बदलती प्रकृति ने यह बताया है कि अगर टीका लेने वाले लोग भी बचाव के उचित उपायों को लेकर ढीला रुख अख्तियार करते हैं तो उनके फिर से कोरोना विषाणु की चपेट में आने की आशंका बनी रहेगी।

अमूमन हर जगह इसकी प्रकृति ने दुनिया भर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने एक जटिल चुनौती पेश की है। चूंकि अभी भी इसका कोई कारगर और अंतिम इलाज नहीं खोजा जा सका है, इसलिए फिलहाल इससे बचाव के उपायों के प्रति गंभीरता ही इसका सामना करने का एक अहम तरीका है।


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