सम्पादकीय

पटियाला के महाराज के बाद अब महारानी भी पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाएंगी

Rani Sahu
1 Dec 2021 8:27 AM GMT
पटियाला के महाराज के बाद अब महारानी भी पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाएंगी
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कहते हैं कि जल्दबाजी में अक्सर गलती हो जाती है

अजय झा कहते हैं कि जल्दबाजी में अक्सर गलती हो जाती है. एक ऐसी ही जल्दबाजी पिछले हफ्ते कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में की जिसके कारण पार्टी एक मुसीबात में फंस गयी है और पटियाला की महारानी परनीत कौर अब सरेआम कांग्रेस पार्टी को अंगूठा दिखाने का काम कर रही हैं. पिछले हफ्ते बुधवार को कांग्रेस पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने परनीत कौर को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उनपर आरोप लगाया गया कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. उन्हें जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया था.

नोटिस में यह भी कहा गया कि अगर वह समय रहते जवाब नहीं देती हैं तो उन पर लगा आरोप सत्य मान लिया जाएगा और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. आज एक हफ्ते की समय सीमा समाप्त हो रही है औरअभी तक कांग्रेस पार्टी को उनका जवाब नहीं मिला है. उल्टे, परनीतकौर ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर फोटो बदल दी है, जिसमें उनके फोटो के साथ उनके पति कैप्टेन अमरिंदर सिंह की भी फोटो लगी है और साथ में लिखा है Captain For 2022. यह एक सांकेतिक जवाब है कि वह कांग्रेस पार्टी की सांसद होते हुए भी अपने पति के साथ हैं. यानि अब कांग्रेस पार्टी के पास और कोई रास्ता बचा नहीं है सिवाय इसके कि परनीत कौर को अनुशासन तोड़ने के आरोप में पार्टी से निलाम्बित या बर्खास्त कर दिया जाए. और इसी का इंतज़ार तो मियां-बीवी की जोड़ी को था.
कांग्रेस ने परनीत कौर को लेकर खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है
अमरिंदर सिंह ने पिछले महीने कांग्रेस पार्टी को टाटा बाय बाय कह दिया था और खुद की 'पंजाब लोक कांग्रेस' नामक पार्टी के गठन की घोषणा की थी. परनीत कौर ने उस समय ही साफ़ कर दिया था कि वह अपने परिवार के साथ खड़ी रहेंगी. अगर वह कांग्रेस पार्टी में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की जनता के बीच आलोचना करती तो उनका मजाक उड़ता. और पार्टी छोड़ने से दल बदल कानून के तहत उन्हें लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ता. इस स्थिति में पटियाला लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव होता जो विधानसभा चुनाव के साथ साथ ही होता. यानि परनीत कौर अपने चुनाव में ही उलझ कर रह जाती और पंजाब लोक कांग्रेस के लिए प्रचार का काम नहीं कर पातीं. पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद अगर उन्हें कांग्रेस पार्टी से निलाम्बित या बर्खास्त किया जाता है तो उनकी लोकसभा सदस्यता सुरक्षित रहेगी.
पर कांग्रेस पार्टी तो कांग्रेस पार्टी है, जहां या तो निर्णय नहीं लिया जाता है या फिर बिना सोचे समझे ही निर्णय लिया जाता है. बीजेपी के सांसद वरुण गांधी भी लगातार अपनी पार्टी के खिलाफ पछले कुछ महीनों से बोलते दिख रहे हैं, पर बीजेपी उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रही है. अगर बीजेपी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की तो वरुण गांधी की लोकसभा सदस्यता बची रह जाएगी और शायद वह अपने खानदानी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएंगे, जो बीजेपी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व नहीं करना चाहती. बीजेपी में रहते हुए वरुण गांधी खुल कर कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे और शायद उनमें अभी विश्वास का आभाव है कि लोकसभा उपचुनाव में वह बीजेपी के खिलाफ चुनाव जीत पाएंगे. यानि वरुण गांधी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करके बीजेपी ने वरुण गांधी पर लगाम कस रखा है. पर कांग्रेस पार्टी ने तो परनीत कौर को बेलगाम करने की योजना बना ली है.
पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा चुनी जाएगी?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हरीश चौधरी का यह फैसला स्वयं का था या फिर पार्टी आलाकमान के कहने पर उन्होंने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. पर लगता नहीं है कि इतना महत्वपूर्ण निर्णय उन्होंने बिना पार्टी आलाकमान की सहमती से लिया होगा. अमरिंदर सिंह ने सोमवार को दावा किया कि वह प्रदेश में चुनाव बाद सरकार बनाएंगे तथा बीजेपी और सुखबीर सिंह धिंडसा की शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे. अभी तो यह कहना संभव नहीं है, कि क्या अमरिंदर सिंह अपने दावे को साबित कर पाएंगे पर इतना तो तय है कि वह कांग्रेस पार्टी का काम जरूर बिगाड़ देंगे. वैसे भी अभी तक जितना भी चुनावी सर्वेक्षण आया है उनमे पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा चुने जाने की सम्भावना ही दिखाई जा रही है.
ये सारे सर्वेक्षण अमरिंदर सिंह के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के पूर्व का है. पंजाब में स्थिति अब बदलती दिख रही है, अमरिंदर सिंह और उनकी 'पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी', कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल का वोट काटने की स्थिति में आती दिख रही है. अमरिंदर सिंह का जादू पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों पर साफ़ साफ़ दिख रहा है. उन्होंने बीजेपी से कृषि कानूनों को हटाने या कम से कम फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की शर्त गठबंधन के लिए बीजेपी के सामने रखी थी.अमरिंदर सिंह ने बीजेपी को आश्वासन दिया था कि इस स्थिति में वह पंजाब के किसानों को आन्दोलन वापस लेने के लिए मना लेंगे.
क्या सबसे बड़े किसान नेता बन जाएंगे अमरिंदर सिंह
खबर है कि पंजाब के 32 किसान यूनियन कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद भी आन्दोलन जारी रखने के विरुद्ध हैं. अगले दो तीन दिन में शायद पंजाब में किसान दिल्ली की सीमा से अपने घरों में लिए कूच करते दिख सकते हैं, जिससे राजनीति से प्रेरित आन्दोलन जारी रखने के फैसले को झटका लग सकता है. याद रहे कि पिछले वर्ष किसान आन्दोलन की शुरुआत पंजाब से ही हुई थी और अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए किसानों को आन्दोलन के लिए भड़का भी रहे थे. अगर किसान आन्दोलन उनके कहने पर शुरू हुआ और उनके कहने पर खत्म भी हो गया तो वह सबसे बड़े किसान नेता बन जाएंगे. जिससे कांग्रेस पार्टी को निराशा हाथ लगेगी.
आन्दोलन के खत्म होने की स्थिति में या अगर पंजाब के अधिकतर किसान प्रदर्शन स्थल से अपने घरों के लिए रवाना हो गए तो फिर पंजाब के किसान अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ सकते हैं जिसका फायदा उनके नेतृत्व वाले गठबंधन को सीधा मिलेगा. इसमें कोई शक नहीं है कि पंजाब चुनाव कहीं और रोचक बनने जा रहा है और चुनाव में कम से कम एक पलता अवश्य लगने वाला है. और साथ में यह भी तय है कि कांग्रेस पार्टी के गलत निर्णयों के कारण ही अमरिदर सिंह और परनीत कौर को पार्टी के खिलाफ जाने का अवसर मिला है जिसका खामियाजा शायद कांग्रेस पार्टी को झेलनी पड़ेगी.
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