सम्पादकीय

घमासान के बाद

Subhi
2 July 2022 6:06 AM GMT
घमासान के बाद
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महाराष्ट्र की राजनीति में करीब दो सप्ताह तक चला राजनीतिक घमासान एवं उठापटक का दौर शिवसेना के विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही समाप्त हो गया।

Written by जनसत्ता: महाराष्ट्र की राजनीति में करीब दो सप्ताह तक चला राजनीतिक घमासान एवं उठापटक का दौर शिवसेना के विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही समाप्त हो गया। सत्ता के गलियारों में देवेंद्र फडणवीस की जगह विद्रोही गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपना भाजपा का बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है, जिसे ढाल बनाकर महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित किया जाए और उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राजनीति को हाशिये पर लाया जा सके।

इतना ही नहीं महाराष्ट्र के नगर निगम चुनाव में भी एकनाथ शिंदे को साथ लेकर महाराष्ट्र की स्थानीय और नगरीय राजनीति और शासन व्यवस्था में भाजपा बड़ी भूमिका सुनिश्चित की जा सके। यह स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ सकती है। दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे की राजनीति को भी समझना होगा कि क्या वे अब महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस और राकांपा के साथ मिल कर लड़ाई लड़ेंगे या शिवसेना के संगठन को मजबूत कर अकेले चलो की नीति पर चलेंगे।

एक ओर भारत में जैसे ही मानसून ने दस्तक दी है, सभी प्राणियों को भीषण गर्मी से राहत मिली है, दूसरी ओर, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब राहत के लिए मानसून सत्र की ओर देख रहा है। 18 जुलाई से 12 अगस्त तक विभिन्न विषयों जैसे विदेशी गतिशीलता, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, श्रम संहिता, रेलवे भर्ती, जीएसटी और कई अन्य पर चर्चा की जाएगी। बेहतर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस 17 कार्यदिवस सत्र का प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार द्वारा एक जुलाई से एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक के कुछ सामान पर प्रतिबंध लगाए जाने की बहुप्रतीक्षित घोषणा स्वागतयोग्य है। राज्य सरकारों द्वारा इनका प्रयोग रोकने तथा उत्पादन, वितरण, निर्माण और बिक्री रोकने की कवायद को तेज करने की खबर भी राहत भरी है। एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक को प्रतिबंधित किए जाने से पर्यावरण का संरक्षण तो होगा ही, पानी की निकासी के लिए बनाए गए नाले तथा चेंबर आदि भी जाम नहीं होंगे। गली-मोहल्लों में बाढ़ नहीं आएगी, मवेशियों की जान बचेगी और स्वच्छता भी बनी रहेगी। अब इस पहल को सफल बनाने की जिम्मेदारी आम जनता को अपने कंधों पर लेनी ही होगी।


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