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सम्पादकीय
अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर की धरती पर पहुंचे
Gulabi Jagat
25 April 2022 10:48 AM GMT

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प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री की जम्मू यात्रा पर इसलिए देश की निगाहें थीं, क्योंकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह पहली बार जम्मू-कश्मीर की धरती पर पहुंच रहे थे। जम्मू में उन्होंने पंचायत दिवस के अवसर पर केवल देश भर के पंचायत अधिकारियों को ही संबोधित नहीं किया, बल्कि इस केंद्र शासित प्रदेश की विभिन्न योजनाओं-परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन करने के साथ कश्मीर एवं लद्दाख की जनता को भी यह संदेश दिया कि भारत सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में किए गए कार्यो का विवरण देकर यह भी रेखांकित किया कि अब कैसे विकास एवं जनकल्याण के काम तेजी से हो रहे हैं?
उन्होंने इन शब्दों के साथ युवाओं का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया कि आपके माता-पिता, दादा-दादी को जिन मुसीबतों का सामना करना पड़ा, उनका आपको कभी सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने साफ कहा कि वह अपने इस वचन को पूरा करके दिखाएंगे। आशा की जाती है कि उनकी इन बातों का सकारात्मक असर पड़ेगा। वैसे भी बीते कुछ समय में वहां अनेक ऐसे काम हुए हैं, जो पहले नहीं हुए। इनमें विदेश से निवेश भी शामिल है।
नि:संदेह अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदला है और यह बदलाव दिखने भी लगा है, लेकिन अभी बहुत कुछ होना शेष है। वहां देर-सबेर और संभवत: परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव तो होंगे ही, लेकिन चुनाव कराने के पहले आतंकवाद पर पूरी तरह लगाम लगाने की जो चुनौती है, उससे भी पार पाना होगा। तमाम आतंकियों के सफाये के बाद भी कश्मीर में जिस तरह रह-रह कर आतंकी घटनाएं हो रही हैं, उनके चलते कश्मीरी हिंदुओं की वापसी फिलहाल संभव नहीं दिख रही।
भले ही कुछ भी करना पड़े, इस काम को संभव बनाना होगा, क्योंकि तभी आतंकियों और उनके समर्थकों को यह संदेश जाएगा कि उनकी दाल गलने वाली नहीं है। यह भी सर्वथा उचित होगा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के लिए कुछ सीटें आरक्षित की जाएं। परिसीमन के जरिये यह जो एक अवसर मिल रहा है, उसे गंवाया नहीं जाना चाहिए। यह काम इसलिए प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए, क्योंकि यदि ऐसा कुछ नहीं किया जाता तो अनुच्छेद 370 हटाने का उद्देश्य हासिल करने में देर हो सकती है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय

Gulabi Jagat
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