- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- आखिर क्यों है ममता...

x
हर योजना व निर्देशों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को पानी पी-पीकर कोसने वाली बंगाल की ममता सरकार मजबूर दिख रही है
सोर्स - Jagran
हर योजना व निर्देशों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को पानी पी-पीकर कोसने वाली बंगाल की ममता सरकार मजबूर दिख रही है। यह मजबूरी आर्थिक है, क्योंकि बंगाल की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। हालात यह है कि वेतन व पेंशन भुगतान के लिए भी ऋण लेना पड़ रहा है। उस पर भी वोट के लिए चलने वाली लोकलुभावन योजनाओं को भी जारी रखने का दबाव है। अब जबकि राज्य में नए उद्योग-धंधे नहीं लग रहे हैं और राजस्व उस अनुरूप नहीं बढ़ रहे हैं जितना सरकार को चाहिए।
ऐसे में ममता सरकार की केंद्र पर निर्भर रहने के अलावा कोई और दूसरा उपाय नहीं है। इसलिए अब ममता सरकार केंद्र से मिलने वाले किसी भी फंड को हाथ से जाने नहीं देना चाहती। कई बार प्रक्रिया में त्रुटि होने पर केंद्रीय फंड हाथ से निकल जाता है। आगे इस तरह की गलतियां न हों, इसके लिए सभी सरकारी विभागों के आर्थिक सलाहकारों के साथ आगामी शनिवार को आपात बैठक बुलाई गई है। बैठक में आर्थिक सलाहकारों को केंद्रीय फंड प्राप्त करने से जुड़े मानदंडों के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्हें 'पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम' के बारे में खास तौर पर बताया जाएगा। केंद्र से फंड हासिल करने के लिए इस सिस्टम का अनुसरण करना बेहद जरूरी होता है।
केंद्र से फंड प्राप्त करने के लिए छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना होगा। कोई लापरवाही नहीं चलेगी। प्रकल्पों पर आधारित फंड प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को स्टेट नोडल एजेंसी का बैंक खाता खोलने के साथ-साथ कई माड्यूल को नए सिरे से तैयार करना पड़ रहा है। राज्य सरकार का शिक्षा क्षेत्र के लिए मिलने वाले केंद्रीय फंड पर खास ध्यान है। अभी आलम यह है कि हर महीने शिक्षकों का वेतन का जुगाड़ करने में ममता सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। यही हाल सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन के मामले में भी है। वहीं आवास योजना से लेकर सौ दिनों के काम योजना के लिए भी केंद्र से फंड नहीं मिलने का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आरोप लगा रही हैं।

Rani Sahu
Next Story