सम्पादकीय

आखिर हुई कटौती, बीजेपी की चुनावी चिंता से उपजा है यह फैसला?

Subhi
6 Nov 2021 2:04 AM GMT
आखिर हुई कटौती, बीजेपी की चुनावी चिंता से उपजा है यह फैसला?
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद दीपावली से ऐन पहले सरकार ने इन पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में क्रमश: 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर कटौती की।

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद दीपावली से ऐन पहले सरकार ने इन पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में क्रमश: 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर कटौती की। इससे लोगों को तत्काल कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन सरकार के इस कदम का वैसा उत्साहपूर्ण स्वागत नहीं हुआ, जैसी उम्मीद की जा रही थी। कारण संभवत: यह है कि आम लोगों के लिए इस फैसले को सरकार की संवेदनशीलता से जोड़कर देखना संभव नहीं हो पा रहा।

पिछले काफी समय से पेट्रोल और डीजल कीमतों का लगातार बढ़ता बोझ आम लोगों के लिए जीना मुश्किल किए हुए था। मगर सरकार ने कभी यह संकेत नहीं दिया कि वह इसे लेकर चिंतित है या इसे कम करने के उपायों पर विचार कर रही है। सरकार का यह फैसला 29 विधानसभा सीटों और 3 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद आया है, जिन्हें कांग्रेस के लिए उत्साहवर्धक और बीजेपी के लिए चिंताजनक माना गया। स्वाभाविक ही इससे यह संदेश गया कि बीजेपी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित है और ताजा फैसला इसी चुनावी चिंता से उपजा है।
इसका मतलब यह माना गया कि इन राज्यों में चुनाव होते ही पेट्रोल और डीजल के भाव फिर ऊपर का रुख कर लेंगे। दूसरी बात यह कि पिछले कुछ समय में इनके दाम में जो असाधारण बढ़ोतरी हुई है, उसके मुकाबले यह कटौती बहुत कम है। 2021 की ही बात करें तो साल की शुरुआत से अब तक पेट्रोल और डीजल के भाव करीब 28 रुपये और 26 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जा चुके हैं। इस मुकाबले 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती को राहत माना भी जाए तो कैसे? खासकर तब, जब इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों से ज्यादा बड़ी भूमिका एक्साइज ड्यूटी की हो।
ताजा कटौती के बाद भी पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है, जो पिछली सरकारों के कार्यकाल के दौरान लगने वाली ड्यूटी के मुकाबले बहुत ज्यादा है। हालांकि आज के हालात और चुनौतियों की तुलना पिछली सरकारों के कार्यकाल से नहीं की जा सकती। लेकिन पेट्रोल और डीजल के ऊंचे भाव न केवल शहरों और गांवों के आम वाहनधारकों को प्रभावित करते हैं बल्कि फसलों की सिंचाई और माल ढुलाई का खर्च बढ़ाकर आम तौर पर महंगाई का स्तर बढ़ा देते हैं। इसलिए जरूरी है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम में और कमी लाने पर विचार करे।

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