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अफगानिस्तान संकट : पड़ोसियों को चिंता किसकी लंका लगाएगा तालिबान
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शंभूनाथ शुक्ल | हर कोई चिंतित है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में कुछ उपद्रवी लड़ाकों की सरकार बनने से पता नहीं क्या हो. वे कोई अफगानिस्तान से ही तो संतुष्ट हो नहीं जाएंगे, आसपास के देशों में भी घुसने की चेष्टा करेंगे. भारत भी चिंतित है क्योंकि अफगानिस्तान की सीमा और भारत के बीच सिर्फ़ पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) है. पाकिस्तान (Pakistan) पर यूं भी भारत आरोप लगाता है कि वह भारत में आतंकवादियों को बढ़ावा देता है, फ़ंडिंग करता है. आशंका है कि अब वह सीधे तालिबान (Taliban) को भी भेज सकता है. मध्य एशिया के देश, रूस और ईरान भी आशंकित हैं. बस चीन ही कुछ ख़ास प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर रहा, जबकि ख़तरा उसको भी है. कुछ लोगों का कहना है, कि तालिबान को वह पीछे से सपोर्ट कर रहा है, उसे उम्मीद है कि ऐसा करने से उसकी उईगर मुसलमानों की समस्या समाप्त होगी. पाकिस्तान को सबसे अधिक ख़तरा है क्योंकि उसकी न सिर्फ़ सीमा मिलती है बल्कि उसके एक प्रांत ख़ैबर पख़्तूनवा पर तो अफगानिस्तान का दावा बहुत पहले से रहा है. उसका कहना है, कि अंग्रेजों ने डूरंड लाइन खींच कर अफगानिस्तान का बहुत सा इलाक़ा दाब लिया था. मगर चीन के साथ दोस्ती की ख़ातिर पाकिस्तान सरकार ने सबसे पहले इन तालिब लड़ाकों की सरकार को मान्यता दे दी है.