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- धरती का नरक बना...

अफगानिस्तान में तालिबान का दायरा बढ़ता जा रहा है। तालिबान अफगानिस्तान के आठवें सबसे बड़े शहर पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रहा है। स्थिति को देखते हुए भारत वहां से खुद को समेटने लगा है। मजार-ए-शरीफ और उसके आसपास से अपने नागरिकों को निकाल कर विशेष विमान से भारत लाया जा रहा है। भारत के सामने इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा है। तालिबान जिस तरीके से शासन करता है, वो मानव सभ्यता के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। देश में इस समय नरक से भी बदतर स्थिति है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। घर बर्बाद हो रहे हैं। न खाने का ठिकाना है और न सोने का। ऊपर से मौत का डर अलग से है। दुनिया भर के देश अपने नागरिकों को वहां से निकालने में लगे हैं। उत्तरी प्रांत के लोगों ने तालिबान के डर से भागकर काबुल में शरण ले ली है। इनके साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनका बचपन जैसे खो गया है। सबको अपनी जिन्दगी बचाने की पड़ी है। बच्चे खेलना-कूदना भूल चुके हैं। अफगान धरती को खून से लाल करने वाले कट्टरपंथी अब पावर सेंटर बन रहे हैं। लम्बी लड़ाई से थक-हार कर अमेरिका भले ही अपना दामन छुड़ा कर भाग गया है। समस्या यह है कि चीन तालिबान की राजनीतिक ताकत बना रहा है। खुद तालिबान के नेता चीन और रूस जैसे देशों के नेताओं से मुलाकात कर भरोसा दे रहे हैं। अगर तालिबान मजार-ए-शरीफ पर कब्जा करने में कामयाब रहा तो राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के लिए बड़ा झटका होगा। तालिबान नेताओं ने रूस को भी भरोसा दिलाया है कि उनकी तरफ से मास्को को कोई खतरा महसूस नहीं होगा। वहीं पाकिस्तान में तो तालिबान का हैडक्वार्टर है। पाकिस्तान तालिबान की हर तरह से मदद कर रहा है। काबुल लगातार वैश्विक शक्तियों से गुहार लगा रहा है कि उसे बचाया जाए। अफगानिस्तान ने भारत से भी मदद मांगी है। भारत के लिए बहुत दुविधाजनक स्थिति है। भारत के अफगानिस्तान में बड़े हित हैं। भारत ने वहां तीन विलयन डॉलर का निवेश किया हुआ है और वह हमेशा अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया का सबसे बड़ा पक्षधर रहा है।
