- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- अधिकारों के लिए अंतिम...
x
अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं के मानवाधिकारों (Human Rights) का हनन और उन पर किए जा रहे अत्याचार से विश्व चिंता में है
ज्योतिर्मय रॉय। अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं के मानवाधिकारों (Human Rights) का हनन और उन पर किए जा रहे अत्याचार से विश्व चिंता में है. हर रोज अफगान महिलाओं पर किए जा रहे मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाओं से जुड़ी खबरें सोशल मीडिया में देखा और पढ़ा जा सकता है. बीते दिनों एक 6 महीने की गर्भवती महिला पुलिसकर्मी की हत्या के बाद स्क्रूड्राइवर से उसके चेहरे को बिगाड़ने की एक घटना से पूरी दुनिया दहल गई.
अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान (Taliban) अंतर्राष्ट्रीय दबाव की वजह से शांति की बात जरूर करता है, लेकिन दूसरी तरफ उसके लड़ाके सड़कों पर जुल्म और खून बहाते नहीं थकते. तालिबानी आतंकियों ने घूर प्रांत के फिरोजकोह में एक 6 महीने की गर्भवती महिला पुलिसकर्मी बानू नेगर को उसके पति और बच्चों के सामने पीटा फिर गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. इतना ही नहीं आतंकियों ने मृतका का चेहरा स्क्रूड्राइवर से बुरी तरह बिगाड़ दिया. मृतक अधिकारी छह महीने की प्रेग्नेंट बताई जा रही है.
33 साल की दो महीने की गर्भवती महिला को चाकू घोंपे और फिर आंखें निकाली गईं
गजनी शहर में अपने काम के बाद लौटकर घर जा रही 33 साल की महिला खटेरा को रास्ते में घेरकर तालिबानी लड़ाकों ने उन पर कई बार चाकू से वार किया और फिर उनकी आंखें निकाल दी गईं. उस समय वह महिला 2 महीने की गर्भवती थी. किस्मत से वो जिंदा बच गई और अपनी आंखों का इलाज कराने किसी तरह दिल्ली पहुंची.
खटेरा कहती हैं, 'तालिबान की नजर में महिलाएं इंसान नहीं केवल गोश्त का टुकड़ा हैं, जिनके साथ कितनी भी बेरहमी की जा सकती है. वे (तालिबान) पहले हमें प्रताड़ित करते हैं और फिर दूसरों को इस सजा का नमूना दिखाने के लिए शरीर को कभी चौराहे पर लटका देते हैं तो कभी महिलाओं की लाशों को कुत्तों को खिला देते हैं. मैं भाग्यशाली थी कि मैं इससे बच गई. आज महिलाएं तालिबानियों के डर से अपने एजुकेशनल सर्टिफिकेट्स जला रही हैं, ताकि उन्हें महिला के पढ़े-लिखे होने का सबूत ना मिल जाए. मेरे रिश्तेदार भी अपनी लड़कियों को तालिबान से बचाने के लिए उनके एजुकेशनल सर्टिफिकेट्स जला रहे हैं.'
अफगान महिलाओं पर इस प्रकार का अत्याचार काबुल जैसे शहरों से लेकर अफगानिस्तान के दूर दराज के गांवों में भी देखने को मिलता है. आतंकियों द्वारा किए गए इस प्रकार के अत्याचार और हत्या को क्या आप इस्लाम परस्त कहेंगे? अफगानिस्तान में अत्याचार और हत्या की शिकार ये महिलाएं क्या मुस्लिम नहीं है?
अधिकार के लिए अंतिम आवाज अफगान महिलाओं को ही उठानी पड़ेगी
अफगानिस्तान में लगभग 90 फीसदी महिलाओं ने घरेलू हिंसा का कम से कम एक बार किसी ना किसी रूप में अनुभव किया है. 17 फीसदी महिलाएं यौन हिंसा और 52 फीसदी शारीरिक हिंसा का शिकार हुई हैं. विश्व अफगान महिलाओं के अधिकारों के लिए चिंतित है, लेकिन अत्याचार के विरोध और अपने अधिकार के लिए अंतिम आवाज अफगान महिलाओं को ही उठानी पड़ेगी.
अफगान समाज में फैली कट्टरता के लिए कुछ हद तक महिलाएं भी जिम्मेदार हैं. उनको सोचना पड़ेगा की, समाज और परिवार की सुख समृद्धि और शांति के लिए ज्यादा बच्चों की नहीं, संस्कार वान बच्चों की आवश्यकता है. महिलाओं पर अत्याचार करने से पहले तालिबान को सोचना पड़ेगा कि अगर अफगानी महिलाएं आज बच्चे पैदा करना बंद कर दें तो कल का तालिबान कहां पैदा होगा?
शक्ति से सत्ता मिल सकती है, राज करने के लिए दिल जीतना पड़ता है
सत्ता शक्ति से हासिल तो किया जा सकता है, लेकिन सत्ता पा कर राज करने के लिए अपने नागरिकों का विश्वास और सहयोग अति आवश्यक है. बाहरी ताकतों से मिली शक्ति स्वार्थ से प्रभावित होती है, जो बुरे वक्त पर साथ छोड़ देती है, जबकि अपने लोगों के सहयोग प्यार और विश्वास के बल पर ही सत्ता में टिका जा सकता है. बाहरी शक्ति के भरोसे किया गया राज क्षणस्थायी होता है. तालिबान जितनी जल्दी ये बात समझ जाएं उतनी निष्कंटक होंगे उनके राज. तालिबान को इस्लामिक कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाला पाकिस्तान अपने देश में तालिबानी हुकूमत क्यों नहीं ला रहा हैं? क्या पाकिस्तान तालिबान द्वारा शरीयत नियमों के विरुद्ध है? क्या पाकिस्तान द्वारा शरीयत के नाम पर तालिबान का समर्थन केवल अपनी तिजोरी भरना है?
Next Story