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ऐसी जीवनशैली अपनाएं जिसमें जान सकें कि हम मनुष्य इस दुनिया में आए क्यों हैं और हमारी खूबी क्या हैं
बच्चों के खान-पान के प्रति यदि हम शुरू से ही सावधान व सख्त रहें, तो धीरे-धीरे वे वही खाएंगे जो हम खिलाएंगे, लेकिन लाड़-प्यार में माता-पिता उनके स्वाद पर ध्यान नहीं देते। इस पर हर माता-पिता को विशेष सावधानी रखना होगी। जिस प्रकार हम बच्चों में भोजन का स्वाद डेवलप करते हैं, ऐसे ही समय रहते उनके भीतर संस्कारों का स्वाद भी उतारिए। चेहरा खूबसूरत न भी हो तो कुछ लोग अंदाज खूबसूरत बना लेते हैं।
ऐसे ही संस्कार एक अंदाज है। संस्कार यदि जीवन में उतर आएं और बच्चे उनका सदुपयोग करना सीख जाएं तो युवा अवस्था आते-आते वे उनके लिए बहुत मददगार हो जाएंगे। इसलिए कितने ही समर्थ माता-पिता हों, बच्चों के खान-पान पर ध्यान दीजिए और संस्कार के स्वाद के प्रति गंभीर रहिए।
बच्चों को सिखाइए असमय खाना न खाएं और बेवजह दूसरों का भेजा न खाएं। एक ऐसी जीवनशैली अपनाएं जिसमें जान सकें कि हम मनुष्य बनकर इस दुनिया में आए क्यों हैं और हमारी खूबी क्या है। इस खूबी को जानने में आहार और संस्कार दोनों का अपना-अपना महत्व है।