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- आदेश रावल का ब्लॉग :...
आदेश रावल। आजकल कांग्रेस के लिए चारों तरफ से नकारात्मक ख़बरें ही आ रही हैं. दिल्ली में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का देश के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात करना, चंडीगढ़ में DGP और कैबिनेट मंत्रिमंडल के विस्तार से नाराज़ होकर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफ़ा देना, जी-23 के नेता कपिल सिब्बल का कहना, हम 'जी हुज़ूर' नहीं हैं, गुलाम नबी आज़ाद का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहना, जल्द से जल्द कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाए और कपिल सिब्बल के घर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का टमाटर फेंककर विरोध प्रदर्शन करना - इन सबकी एक ही वजह है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जिस विश्वास के साथ नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का सरदार बनाया था, वह उस भरोसे पर खरे नहीं उतरे. जैसे ही नई नियुक्तियों से नाराज़ होकर नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफ़ा दिया, गांधी परिवार और उनके रणनीतिकारों पर सवाल उठने लगे. पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति को राहुल गांधी का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा था, लेकिन दरअसल, राजनीति में स्ट्रोक तो होते हैं, लेकिन कोई भी फ़ाइनल स्ट्रोक नहीं होता, और पंजाब का फ़ैसला इस बात का परिणाम है.