सम्पादकीय

आतंकी संगठनों की मदद करने वालों पर कार्रवाई

Subhi
19 July 2023 3:27 AM GMT
आतंकी संगठनों की मदद करने वालों पर कार्रवाई
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Written by जनसत्ता: यहां आतंकवाद का मुख्य कारण है कि इसे पर्दे के पीछे से संचालित करने वाले गिरोहों को कई बार वहां के कुछ स्थानीय लोगों का साथ मिल जाता है। हालांकि राज्य में आतंकवाद की समस्या के लंबे समय से बने रहने का खमियाजा लगातार उठाने के बाद वहां के ज्यादातर लोगों के बीच इसकी हकीकत और नतीजों को लेकर एक स्पष्ट राय बनी है और अब वे आमतौर पर आतंकियों का साथ नहीं देते हैं

लेकिन कुछ लोग अब भी दुष्प्रचार के प्रभाव में आकर आतंकी संगठनों का मददगार बनने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे ही तीन लोगों को जम्मू-कश्मीर सरकार ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, जो आतंकवादियों के सहायक बने हुए थे। इनमें कश्मीर विश्वविद्यालय का एक जनसंपर्क अधिकारी, एक पुलिसकर्मी और एक राजस्व सेवा का अधिकारी शामिल हैं।

बर्खास्त कर्मचारियों पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ काम करने, उनके लिए धन जुटाने और उनकी विचारधारा का प्रचार करने का आरोप है। यह न केवल उसी व्यवस्था के खिलाफ अभियान चलाना है, जो उनके जीवनयापन का जरिया भी है, बल्कि एक तरह से यह देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल होना है।

ऐसे लोग आतंकवाद का सामना करने के सरकार के प्रयासों को एक तरह बाधित करते और इस समस्या को जटिल बनाते हैं। इसलिए अगर आरोपों की पुष्टि के बाद सरकार ने इनके खिलाफ कार्रवाई की है तो इसे एक स्वाभाविक प्रक्रिया कहा जा सकता है। हालांकि नौकरी से बर्खास्तगी ऐसी प्रवृत्ति के खिलाफ एक सख्त संदेश है, लेकिन जरूरत इस बात की भी है कि आतंकवाद की संगठित गतिविधियों को प्रत्यक्ष या परोक्ष मदद पहुंचाने की कोशिश में लगे ऐसे लोगों की पहचान करके उन पर लगातार नजर रखी जाए।

दरअसल, पिछले कुछ सालों से आतंकवादी संगठनों के तंत्र को खत्म करने के मकसद से राज्य की पुलिस और सुरक्षा बलों ने जमीनी स्तर पर उनकी पनाहगाहों को खत्म करने की दिशा में भी काम किया है। इसके तहत स्थानीय आबादी में घुसपैठ करके लोगों को प्रभावित करने और उन्हें आतंकी संगठनों का मददगार बनाने की कोशिशों को रोकना एक अहम पहल थी। इस काम में सुरक्षा बलों को खासी कामयाबी भी मिली और स्थानीय लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस मोर्चा बनाने में अपनी ओर से भी रुचि दिखाई।

जाहिर है, यह स्थिति पाकिस्तानी ठिकानों से भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकी संगठनों के लिए बड़ी अड़चन थी। शायद यही वजह है कि आतंकवादी संगठनों के कर्ताधर्ताओं ने सरकारी कर्मचारियों में अपनी घुसपैठ बनाई। अच्छी बात है कि खुफिया एजंसियों की नजर में कुछ लोग आ गए और उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकी।

लेकिन यह घटना इस जरूरत को रेखांकित करती है कि स्थानीय आबादी के बीच सद्भाव, सहयोग और विश्वसनीयता अर्जित करने के साथ-साथ अवांछित गतिविधियों में शामिल लोगों पर भी निगरानी रखी जाए। कई बार ऐसे भावुक और कमजोर मनस्थिति वाले लोगों को अपना सहारा बना कर आतंकी संगठन उनका बेजा इस्तेमाल करते हैं।

इसके अलावा, जब ऐसे स्थानीय लोग खुफिया एजंसियों की नजर में आकर पकड़े जाते हैं तो आतंकी संगठन उन्हें उनके हाल पर छोड़ देते हैं। इसलिए एक ओर जहां सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर चौकसी और निगरानी तंत्र को हमेशा सक्रिय रखना चाहिए, वहीं आम लोगों को भी आतंकवादी संगठनों के प्रभाव से बचाने के उपाय होने चाहिए।



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