सम्पादकीय

जहर फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई

Subhi
17 Jan 2022 2:35 AM GMT
जहर फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई
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किसी भी समाज को आत्मरक्षा के लिए सजग करने में ‘धर्म संसद’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन पहले भी होता रहा है। धर्म की रक्षा और देश की रक्षा की भावना जगाने के लिए राष्ट्रभक्त समाज की सभाएं और सम्मेलन आयोजित कर अपना दायित्व निभाते रहे हैं।

किसी भी समाज को आत्मरक्षा के लिए सजग करने में 'धर्म संसद' जैसे कार्यक्रमों का आयोजन पहले भी होता रहा है। धर्म की रक्षा और देश की रक्षा की भावना जगाने के लिए राष्ट्रभक्त समाज की सभाएं और सम्मेलन आयोजित कर अपना दायित्व निभाते रहे हैं। सभी सम्मेलनों में धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो आदि उद्घो​षणाएं की जाती हैं लेकिन आजकल धार्मिक आयोजनों में भाषा की मर्यादाएं टूटती नजर आ रही हैं। अभद्र भाषा का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। हरिद्वार धर्म संसद का मामला उछला तो कानून ने अपना काम शुरू किया। धर्म संसद में हेट स्पीच केस में उत्तराखंड पुलिस द्वारा यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी स्वागत योग्य कदम है। इससे पहले एक अन्य आरोपी जितेन्द्र नारायण त्यागी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो धर्म परिवर्तन करने से पहले वसीम रिजवी थे और शिया वक्फ बोर्ड का नेतृत्व कर चुके हैं। हरिद्वार धर्म संसद में जो शब्द गूंजे उनकी गूंज सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंची। यह मामला पत्रकार कुर्बान अली, पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता अजंग प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में उठाया और नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के​ खिलाफ जांच करने और कानून सम्मत कार्रवाई की मांग की गई। देश में कई बार लोगों को लगता है कि घृणा या हिंसा को भड़काने वाले भाषणों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती, अगर की जाती है तो वह चुनींदा ढंग से की जाती है। हरिद्वार धर्म संसद के नाम पर जो कुछ हुआ वह बिल्कुल भी धार्मिक नहीं था। गिरफ्तार किए गए यति नरसिंहानंद ने कहा, ''हथियार उठाए ​बिना कोई कौम तो न बच सकती है, और ना ही कभी बचेगी। ज्यादा से ज्यादा बच्चे और अच्छे से अच्छे हथियार यही तुम्हें बचाने वाले हैं। हर आदमी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। अन्य लोगों ने भी जिनके नाम के आगे संत और स्वामी जैसे उपसर्ग लगे थे, उन्होंने भी बेलगाम भाषा ही बोली। किसी ने कहा कि उसके हाथ में रिवाल्वर होता तो नाथूराम गोडसे बन जाते और किसी की जान ले लेते। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने भले ही धर्म परिवर्तन कर भगवा चोला पहन लिया हो लेकिन जितेन्द्र नारायण त्यागी बनकर उसकी सोच कितनी सनातन हो पाई ये तो उनके बयानों से झलक ही रहा है। हिन्दुस्तान की फिजा में कुछ लोग अपने भाषणों के जरिये जहर और नफरत का कारोबार करना चाहते हैं। ऐसे आयोजन कर देश की एकता को नुक्सान पहुंचाना चाहते हैं। हाल ही में महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले धर्माचार्य कालीचरण को छत्तीसगढ़ की पुलिस ने गिरफ्तार किया और करीब आधा दर्जन थानों में उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। जब छत्तीसगढ़ की पुलिस ने मध्य प्रदेेश में घुसकर गिरफ्तारी की तो इस गिरफ्तारी को राजनीतिक नजरिये से देखा गया। संपादकीय :योगी का चुनावी चैलेंजघबराने की जगह अलर्ट रहना जरूरी...चीन ने श्रीलंका को बर्बाद कियाचुनावों में कोरोना नियमों का उल्लंघन74 साल का इंसानी अलगावआम आदमी की रोजी-रोटी का सवाल!धर्म संसद का मामला तो काफी संवेदनशील हो गया क्योंकि किसी समुदाय के नरसंहार का आह्वान इससे पहले कभी किसी धर्म संसद में नहीं किया गया। ऐसी हिंसा की पैरवी न तो सनातन धर्म करता है और न ही हिन्दू समाज इसकी वकालत करता है। साम्प्रदायिक नफरत की बुनियाद पर बने देशों का हश्र हमारे सामने है। आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम राष्ट्रों का हश्र हमारे सामने है। आज हमें आतंकवाद से मुक्त होना है, बल्कि उस जिहादी आतंक से मुक्त होना है जो मजहबी जुनून के नाम पर सारे विश्व में फैल चुका है। आतंकवादी ताकतें दुनिया में विध्वंस मचा रही हैं। इस्लामिक आतंकवाद का इलाज प्रेम की किसी भाषा या वार्ता से नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि धर्मांधता से प्रेरित कट्टर विचारधारा का मुकाबला कैसे किया जाए। इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि मुस्लिम अतिवाद मानवता का शत्रु है लेकिन क्या हम इस शत्रु का मुकाबला करने के​ लिए हथियार उठाकर सड़कों पर उतर कर मार-काट मचाने लगें। अगर ऐसा किया जाता है तो फिर आतंकवादी संगठनों और हम में फर्क ही क्या रह जाएगा?भारत का पूरा संविधान ही मानवीयता पर आधारित है, जहां हर मनुष्य का धर्म अलग-अलग हो सकता है लेकिन धर्म मानवता ही है। हम अपने देश में जिन्नावादी मानसिकता का अनुसरण नहीं कर सकते। मुहम्मद अली जिन्ना ने भी साम्प्रदायिक राजनीति का इस्तेमाल खुलकर किया था। हिन्दू राज में मुसलमानों को खत्म कर दिया जाएगा और मुस्लिम अलग देश में ही सुरक्षित रह पाएंगे। इस अभियान के बल पर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करा दिया था। कुछ लोग उस ​सहिष्णु, उदार, समझदार भारत को खत्म करना चाहते हैं कि जिस पर दुनिया गर्व करती है। हम कट्टरपंथी मजहबी बनकर भारत को अधर्म का मार्ग नहीं अपना सकते। हम अपने बच्चों के हाथों में लैपटॉप की जगह बंदूकें नहीं थमा सकते। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा जो भारत की एकता और सामाजिक भाईचारे के लिए मुसीबत पैदा कर दें। उत्तराखंड पुलिस को धर्म संसद में विष वमन करने वाले सभी लोगों को गिरफ्तार कर कानून सम्मत कार्रवाई करनी होगी, ताकि कोई दूसरा समाज में जहर न फैला सके।

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