सम्पादकीय

एक्ट किसानों के हित में: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अपनी हठधर्मिता का करें परित्याग

Gulabi
15 Dec 2020 10:48 AM GMT
एक्ट किसानों के हित में: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अपनी हठधर्मिता का करें परित्याग
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नए कृषि कानूनों का समर्थन करें

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन अपनी हठधर्मिता का परित्याग करें, इसके लिए यह आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है कि किसानों के वे संगठन सामने आएं जो इन कानूनों में कोई खामी देखने के बजाय उन्हें अपने हित में मान रहे हैं। यह ठीक है कि गत दिवस कुछ राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया, लेकिन अच्छा यह होगा कि ऐसे और किसान संगठन सामने आएं।

वे न केवल नए कृषि कानूनों का समर्थन करें, बल्कि इन कानूनों को रद किए जाने की बेजा मांग के विरोध में भी अपनी आवाज बुलंद करें। ऐसे किसान संगठनों को सक्रिय करने का काम भाजपा को करना चाहिए। हालांकि भाजपा की ओर से यह घोषणा की गई है कि नए कृषि कानून के फायदे बताने के लिए उसकी ओर से सात सौ सभाएं और करीब सौ प्रेस कांफ्रेंस की जाएंगी, लेकिन उचित यह होता कि इस तरह का आयोजन तभी शुरू हो जाता जब पंजाब के किसान संगठन दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे थे।


भाजपा को किसानों को केवल कृषि कानूनों की खूबियों से ही परिचित नहीं कराना चाहिए, बल्कि मोदी सरकार की उन तमाम योजनाओं का भी स्मरण कराना चाहिए जो पिछले कुछ वर्षो में शुरू की गई हैं और जिन्होंने किसानों को एक बड़ी हद तक मदद भी की है। भाजपा की कोशिश यह होनी चाहिए कि किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं से लाभान्वित होने वाले किसान अपनी बात जोरदार तरीके से कहें। इससे उस दुष्प्रचार की काट करने में आसानी होगी कि मोदी सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया है। एक ऐसे समय जब नए कृषि कानूनों के खिलाफ हर तरह के दुष्प्रचार का सहारा लिया जा रहा है तब फिर उसकी काट के लिए भाजपा को कहीं अधिक सक्रियता दिखानी ही होगी।
यह ठीक नहीं कि पंजाब और हरियाणा के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठन नए कृषि कानूनों पर अपने विरोध को इस तरह प्रस्तुत कर रहे हैं जैसे यह पूरे देश की भावना हो। जब यह स्पष्ट है कि नए कानून किसानों को दूरगामी लाभ प्रदान करने वाले हैं और इनसे कृषि का कायाकल्प होना तय है तब यह आवश्यक है कि इनके पक्ष में प्रभावशाली तरीके से आवाज भी उठे। इसके लिए हर स्तर पर पहल की जानी चाहिए।
एक अच्छे कार्य से जब देश की भावना जुड़ती है तब वह अधिक असरदार साबित होता है। बेहतर हो कि भाजपा किसान हितों के नाम पर संकीर्ण हित साधने में जुटे दलों का राजनीतिक रूप से सामना करने के साथ ही कृषि कानूनों पर लोगों को जागरूक करने का अभियान भी तेज करे।


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