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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन अपनी हठधर्मिता का परित्याग करें, इसके लिए यह आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है कि किसानों के वे संगठन सामने आएं जो इन कानूनों में कोई खामी देखने के बजाय उन्हें अपने हित में मान रहे हैं। यह ठीक है कि गत दिवस कुछ राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया, लेकिन अच्छा यह होगा कि ऐसे और किसान संगठन सामने आएं।
वे न केवल नए कृषि कानूनों का समर्थन करें, बल्कि इन कानूनों को रद किए जाने की बेजा मांग के विरोध में भी अपनी आवाज बुलंद करें। ऐसे किसान संगठनों को सक्रिय करने का काम भाजपा को करना चाहिए। हालांकि भाजपा की ओर से यह घोषणा की गई है कि नए कृषि कानून के फायदे बताने के लिए उसकी ओर से सात सौ सभाएं और करीब सौ प्रेस कांफ्रेंस की जाएंगी, लेकिन उचित यह होता कि इस तरह का आयोजन तभी शुरू हो जाता जब पंजाब के किसान संगठन दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे थे।